पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल अपने चरम पर है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने अपने संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई के लिए एक निर्णायक 'आर-पार की लड़ाई' छेड़ दी है। पीटीआई के कार्यकर्ता इस्लामाबाद और रावलपिंडी की सड़कों पर उतर आए हैं और उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार गिर नहीं जाती।
यह आंदोलन केवल इमरान खान को जेल से बाहर निकालने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना और सरकार को घुटनों पर लाने की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि पीटीआई, इमरान खान के '20 हज़ार वाले फॉर्मूले' को अमल में लाने की तैयारी कर रही है।
🤔 क्या है इमरान का '20 हज़ार वाला फॉर्मूला'?
इस फॉर्मूले का उल्लेख 1992 में टाइम्स मैगज़ीन की एक रिपोर्ट में किया गया था। इस रिपोर्ट के अनुसार, इमरान खान ने अपने करीबी सहयोगियों से कहा था कि जब सेना देश पर पूरी तरह हावी हो जाए, तब उसे परास्त करने का केवल एक ही तरीका है।
इमरान खान के अनुसार, इस फॉर्मूले के तहत पीटीआई के कार्यकर्ताओं को देश के चार बड़े और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहरों में सिर्फ 20-20 हज़ार लोग जुटाने की आवश्यकता है। उनका मानना था कि इतनी बड़ी संख्या में एक साथ जुटी भीड़ को सेना नियंत्रित नहीं कर पाएगी और अंततः उसे बैकफुट पर जाना पड़ेगा, जिससे राजनीतिक बदलाव का रास्ता खुलेगा।
इमरान ने जिन चार प्रमुख शहरों में भीड़ जुटाने की बात की थी, वे हैं:
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान की राजधानी और प्रशासनिक केंद्र।
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रावलपिंडी: पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय और आसिम मुनीर का दफ्तर यहीं स्थित है।
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लाहौर: पंजाब प्रांत की राजधानी और एक महत्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र।
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कराची: पाकिस्तान का वित्तीय शहर और नौसेना की गतिविधियों का केंद्र।
इन शहरों में एक साथ बड़ा प्रदर्शन सेना और सरकार दोनों के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती पेश कर सकता है, जिससे देश की आर्थिक और सुरक्षा व्यवस्था चरमरा सकती है।
💥 सेना से टकराव और इमरान का अंतिम दाँव
इमरान खान और सेना के बीच टकराव की शुरुआत 2022 में हुई थी, जिसके बाद उनकी सत्ता चली गई थी। उन्होंने इसके लिए सेना के साथ-साथ अमेरिका को भी जिम्मेदार ठहराया। अपनी गिरफ्तारी के बाद भी, इमरान ने जेल से ही सरकार और सेना प्रमुख आसिम मुनीर पर लगातार हमलावर रुख बनाए रखा है और किसी भी तरह की डील करने से इनकार किया है। उन पर भ्रष्टाचार और अराजकता फैलाने के आरोप लगे हैं, जिसके कारण वह 2023 से जेल में बंद हैं।
वर्तमान परिस्थितियां इमरान के लिए इस लड़ाई को और कठिन बना रही हैं। पाकिस्तान की संसद ने सेना प्रमुख को और अधिक शक्तिशाली बनाने की तैयारी कर ली है। आसिम मुनीर को आधिकारिक रूप से जल, थल और वायु सेना की कमान सौंपने की तैयारी चल रही है। एक बार यह कमान मिलने के बाद, मुनीर को हटाना या उन्हें झुकने पर मजबूर करना इमरान खान के लिए एक अत्यंत कठिन चुनौती होगी।
ऐसे में, '20 हज़ार वाला फॉर्मूला' पीटीआई और इमरान खान के लिए एक निर्णायक और शायद आखिरी मौका साबित हो सकता है। यह देखना बाकी है कि क्या यह फॉर्मूला, जिसे इमरान ने तीन दशक पहले सुझाया था, आज की बदली हुई राजनीतिक और सैन्य परिस्थितियों में पाकिस्तान की सत्ता को पलटने में सफल हो पाएगा। पीटीआई का यह कदम पाकिस्तान की राजनीति का भविष्य तय करेगा।