भारत के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान को एक तरफ सीमा पर भारतीय सेना से मुंह की खानी पड़ रही है, तो दूसरी तरफ आंतरिक मोर्चे पर बलूच विद्रोहियों ने हालात और मुश्किल बना दिए हैं। बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से आ रही खबरों के मुताबिक, बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तान सेना की कई पोस्टों को अपने कब्जे में ले लिया है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पाकिस्तानी सेना को क्वेटा के कई हिस्सों से पीछे हटना पड़ा है।
बलूच विद्रोहियों ने तेज किया हमला
बलूचिस्तान में लंबे समय से स्वतंत्रता की मांग कर रही BLA ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध जैसी स्थिति बना दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार:
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क्वेटा में कई पोस्ट्स पर BLA का कब्जा हो चुका है।
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गैस पाइपलाइनों को उड़ाने का भी BLA ने दावा किया है।
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पाकिस्तानी झंडे हटाकर बलूच झंडा फहराने की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
गुरुवार और शुक्रवार को क्वेटा, सिब्बी, फैजाबाद और केच जैसे इलाकों में पाकिस्तानी सेना और बलूच लड़ाकों के बीच झड़पें, विस्फोट और गोलीबारी की कई घटनाएं सामने आई हैं।
सेना के काफिले और कैंप पर निशाना
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फैजाबाद में सेना के काफिले पर हमला किया गया।
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सिब्बी में एक मिलिट्री कैंप पर ग्रेनेड हमला हुआ।
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रेडियो ज़्रुम्बेश इंग्लिश के अनुसार, केच, मस्तुंग और कच्ची इलाकों में कुल 6 हमले किए गए।
इन हमलों ने पाकिस्तानी सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी को उजागर कर दिया है और सेना के मनोबल पर भी असर पड़ा है।
पूर्व प्रधानमंत्री के बयान ने बढ़ाया तनाव
बलूचिस्तान में बढ़ते असंतोष के बीच, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी का बयान भी आग में घी का काम कर गया। उन्होंने कहा था कि "सरकार और सेना बलूचिस्तान पर अपना नियंत्रण खो रही हैं।" इस बयान के तुरंत बाद BLA ने हमलों की रफ्तार तेज कर दी।
🇮🇳 भारत की स्थिति और जवाबी कार्रवाई
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7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया।
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पाकिस्तान की ओर से ड्रोन हमलों की कोशिशें भी की गईं, जिन्हें भारतीय सेना ने सफलता से विफल किया।
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देश के 26 बड़े शहरों में हाई अलर्ट जारी है।
निष्कर्ष
पाकिस्तान भीतर और बाहर दोनों मोर्चों पर संकट में है। एक ओर भारत का दबाव, दूसरी ओर बलूच विद्रोहियों की आंतरिक बगावत ने पाकिस्तान को सुरक्षा, रणनीति और राजनीतिक अस्थिरता के गंभीर संकट में डाल दिया है।
BLA की हालिया कार्रवाइयां यह साफ संकेत देती हैं कि अब पाकिस्तान के अंदर भी लोग सेना और सरकार की नीतियों के खिलाफ खुले रूप में विरोध कर रहे हैं।