बांग्लादेश की राजधानी ढाका में राजनीतिक तनाव चरम पर पहुँच गया है। गुरुवार को भीड़ ने ढाका के गुलिस्तान इलाके में स्थित पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के केंद्रीय कार्यालय पर हमला कर दिया। हमलावरों ने कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ की और आग लगा दी। यह हमला मुख्य रूप से कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर के कार्यकर्ताओं ने किया। यह हिंसा अवामी लीग द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी 'ढाका लॉकडाउन' कार्यक्रम के बीच हुई, जिसका विरोध करने के लिए इस्लामी छात्र शिबिर के नेता और कार्यकर्ता अवामी लीग कार्यालय के बाहर एकत्र हुए थे। इस लॉकडाउन ने ढाका सहित पूरे देश में सामान्य जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।
अवामी लीग ने अंतरिम सरकार पर साधा निशाना
हमले के बाद अवामी लीग ने हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए वर्तमान मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की आलोचना की। पार्टी ने आरोप लगाया कि यूनुस प्रशासन के मौन समर्थन से पूरे देश में हिंसा और आतंकवाद की घटनाएं हो रही हैं। पार्टी की ओर से एक बयान में कहा गया, "यही वह लोकतांत्रिक सुधार है, जिसका प्रचार यूनुस और उनके साथी कर रहे हैं।" बयान में आगे कहा गया कि देश की "सबसे बड़ी और प्रभावशाली राजनीतिक पार्टी" अंतरिम सरकार और उसके सहयोगियों के लगातार हमलों का सामना कर रही है। अवामी लीग का यह बयान देश की अस्थिर राजनीतिक स्थिति और यूनुस प्रशासन के साथ उसके गहरे मतभेद को दर्शाता है।
शेख हसीना मामले में निर्णायक फैसला
राजनीतिक अशांति के बीच, एक महत्वपूर्ण न्यायिक घोषणा भी हुई है। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने गुरुवार को घोषणा की कि वह पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मामले में 17 नवंबर को अपना फैसला सुनाएगा। शेख हसीना पर पिछले साल जुलाई में हुए विद्रोह से संबंधित हत्या सहित मानवता के विरुद्ध अपराधों के गंभीर आरोप हैं। आईसीटी का यह फैसला अवामी लीग द्वारा आहूत देशव्यापी बंद और पार्टी कार्यालय पर हमले जैसी घटनाओं के बीच आया है, जिससे देश का राजनीतिक माहौल और भी अधिक विस्फोटक हो गया है।
न्यायालय का यह निर्णय शेख हसीना और उनकी पार्टी के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित करने वाला एक निर्णायक मोड़ हो सकता है। फिलहाल, ढाका में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है, क्योंकि राजनीतिक दलों के बीच टकराव की आशंका बनी हुई है और जनता को राजनीतिक गतिरोध के कारण उपजी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।