शांति की उम्मीदों को एक बार फिर गहरा झटका लगा है। इंकलाब मंच के प्रवक्ता और शेख हसीना सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले नेता शरीफ उस्मान हादी की मृत्यु के बाद पूरे देश में अराजकता फैल गई है। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस द्वारा हादी की मौत की पुष्टि किए जाने के बाद, कट्टरपंथी समूहों ने देश के विभिन्न हिस्सों में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदू परिवारों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
हिंदू युवक के साथ क्रूरता की सारी हदें पार
हादी की मौत का प्रतिशोध लेने के नाम पर उपद्रवियों ने भालुका इलाके में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना को अंजाम दिया है। कट्टरपंथियों की भीड़ ने दीपू दास नामक एक हिंदू युवक को पहले बेरहमी से पीट-पीटकर अधमरा कर दिया और फिर उसकी हत्या कर दी। क्रूरता यहीं नहीं रुकी; हमलावरों ने दीपू के शव को रस्सी के सहारे एक पेड़ से लटकाया और उसे आग के हवाले कर दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों को लेकर चिंता जताई जा रही है।
जिहादी नारों से दहला ढाका
राजधानी ढाका सहित चटगांव और अन्य प्रमुख शहरों में कट्टरपंथी संगठन सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनों के दौरान खुलेआम 'जिहादी' नारे लगाए जा रहे हैं और हिंदू समुदाय को देश छोड़ने या अंजाम भुगतने की धमकियां दी जा रही हैं। कई इलाकों में हिंदू घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ और लूटपाट की खबरें भी सामने आई हैं। स्थानीय मीडिया के अनुसार, कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और पुलिस बल इन उग्र भीड़ को रोकने में लाचार नजर आ रहे हैं।
उस्मान हादी: सरकार गिराने वाला रणनीतिकार
शरीफ उस्मान हादी केवल एक प्रवक्ता नहीं थे, बल्कि वे उस 'इंकलाब मंच' का चेहरा थे जिसने साल 2024 के छात्र आंदोलन को हवा दी और अंततः शेख हसीना की अवामी लीग सरकार का तख्तापलट कर दिया।
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चुनाव और हमला: बांग्लादेश चुनाव आयोग ने हाल ही में 12 फरवरी 2025 को आम चुनाव कराने की घोषणा की थी।
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साजिश: चुनाव की तारीखों के ऐलान के ठीक अगले दिन, 12 दिसंबर को हादी पर हमला हुआ। मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने उनके सिर में गोली मारी थी।
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इलाज: ढाका और फिर सिंगापुर में हफ़्तों चले इलाज के बाद गुरुवार देर रात उन्होंने दम तोड़ दिया।
अस्थिरता के मुहाने पर बांग्लादेश
मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने हादी को 'शहीद' का दर्जा देकर शांत करने की कोशिश की है, लेकिन इससे कट्टरपंथी तत्वों का मनोबल और बढ़ गया है। प्रदर्शनकारी इस हत्या के पीछे अवामी लीग के समर्थकों और विदेशी ताकतों का हाथ बता रहे हैं। इसी आक्रोश की आड़ में निर्दोष हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, जो पहले ही सत्ता परिवर्तन के बाद से असुरक्षित महसूस कर रहे थे।