बांग्लादेश एक बार फिर हिंसा और अशांति की आग में झुलस रहा है। इंकलाब मंच के प्रखर प्रवक्ता और जुलाई विद्रोह के चर्चित नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत की खबर ने पूरे देश, विशेषकर राजधानी ढाका को हिलाकर रख दिया है। सिंगापुर में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु के बाद प्रदर्शनकारियों का गुस्सा फूट पड़ा, जिससे कई शहरों में स्थिति बेकाबू हो गई है।
हमला और उपचार का घटनाक्रम
घटना की शुरुआत पिछले शुक्रवार, 12 दिसंबर को हुई थी। शरीफ उस्मान हादी ढाका-8 निर्वाचन क्षेत्र से आगामी राष्ट्रीय चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवार थे। जब वे राजधानी के पुराना पलटन इलाके में एक बैटरी रिक्शा से चुनाव प्रचार कर रहे थे, तब मोटरसाइकिल सवार अज्ञात हमलावरों ने उनके सिर में बेहद करीब से गोली मार दी।
गोली उनके बाएं कान के ऊपर से घुसकर सिर के दूसरी तरफ से निकल गई थी, जिससे उनके मस्तिष्क को गंभीर क्षति पहुंची। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें एयर एंबुलेंस से सिंगापुर जनरल अस्पताल ले जाया गया था। छह दिनों तक मौत से जंग लड़ने के बाद गुरुवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली।
ढाका में हिंसा और मीडिया संस्थानों पर हमला
हादी की मौत की खबर फैलते ही ढाका की सड़कों पर अराजकता फैल गई। उत्तेजित भीड़ ने प्रमुख समाचार पत्रों, विशेषकर 'प्रोथोम आलो' और 'डेली स्टार' के कार्यालयों को निशाना बनाया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रदर्शनकारी लाठियों के साथ तोड़फोड़ करते और इमारतों में आग लगाते नजर आ रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, हमलों के दौरान कई पत्रकार और कर्मचारी कार्यालयों के भीतर फंसे रहे, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
अंतरिम सरकार की प्रतिक्रिया और राष्ट्रीय शोक
मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने शरीफ उस्मान हादी को "जुलाई विद्रोह का निडर योद्धा" करार दिया। सरकार ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए निम्नलिखित घोषणाएं की हैं:
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राष्ट्रीय शोक: 20 दिसंबर (शनिवार) को पूरे देश में राजकीय शोक घोषित किया गया है। सभी सरकारी और निजी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।
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परिवार की जिम्मेदारी: सरकार ने हादी की पत्नी और उनके इकलौते बच्चे के भविष्य के कल्याण की पूरी जिम्मेदारी उठाने का वादा किया है।
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त्वरित न्याय: यूनुस ने सुरक्षा एजेंसियों को हत्यारों को जल्द से जल्द पकड़ने और कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
चुनाव पर संकट के बादल
2025 में होने वाले प्रस्तावित चुनावों से पहले एक सक्रिय उम्मीदवार की हत्या ने बांग्लादेश के राजनीतिक माहौल को अस्थिर कर दिया है। इंकलाब मंच के समर्थकों का आरोप है कि यह हमला उनकी आवाज को दबाने की एक सोची-समझी साजिश है।
वर्तमान में ढाका सहित बड़े शहरों में सुरक्षा बल तैनात हैं, लेकिन माहौल अब भी तनावपूर्ण बना हुआ है। लोग जुम्मे की नमाज के बाद बड़े विरोध प्रदर्शनों की आशंका जता रहे हैं।