चीन का सबसे बड़ा आंतरिक सुरक्षा सिरदर्द अब अफगानिस्तान या पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में नहीं, बल्कि दूर सीरिया में बैठा है। ये लड़ाके हैं चीन के शिनजियांग प्रांत से भागे हुए उइगर मुस्लिम लड़ाके। ताजा रिपोर्टों के मुताबिक, दमिश्क की सरकार कथित तौर पर इन उइगर लड़ाकों को बीजिंग के हवाले करने की तैयारी में थी, हालांकि बाद में सीरिया की आधिकारिक एजेंसी ने इस दावे को खारिज कर दिया। इसके बावजूद यह मामला अंतरराष्ट्रीय हलकों में लगातार सुर्खियां बटोर रहा है, जो चीन की सुरक्षा चिंताओं को उजागर करता है।
🇨🇳 उइगर लड़ाकों को सौंपने की कथित योजना
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी एएफपी (AFP) के अनुसार, जब सीरिया के विदेश मंत्री असद अल-शैबानी पहली बार बीजिंग के दौरे पर पहुँचे, तो उनकी मीटिंग्स में उइगर लड़ाकों का मुद्दा प्रमुख रहने वाला था। सूत्रों ने दावा किया कि चीन की लगातार मांग पर, दमिश्क इन लड़ाकों को बैचों में सौंपने की योजना बना रहा था।
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दावा: एक राजनयिक सूत्र ने तो यहाँ तक दावा कर दिया था कि करीब 400 उइगर लड़ाकों को जल्द ही चीन भेजा जा सकता है।
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सीरियाई खंडन: हालांकि, रिपोर्ट जारी होने के कुछ ही घंटों बाद, सीरिया की सरकारी एजेंसी साना (SANA) ने विदेश मंत्रालय के हवाले से AFP की खबर को गलत, बेबुनियाद और भ्रामक करार दिया। सरकार ने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई योजना फिलहाल मौजूद नहीं है।
उइगर लड़ाके: चीन का गहरा और पुराना दर्द
चीन लंबे समय से अपने शिनजियांग प्रांत के उइगर मुस्लिमों में कुछ गुटों पर अलगाववादी और उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाता रहा है। चीन की कठोर नीतियों के चलते कई उइगर 2011 में सीरिया पहुँचे थे, खासकर तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी (TIP) के हिस्से के रूप में।
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खतरा: सीरिया और इराक में ISIS जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े उइगर लड़ाके बीजिंग की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा और सीधा खतरा माने जाते हैं, क्योंकि चीन को डर है कि ये लड़ाके वापस आकर शिनजियांग में हिंसा भड़का सकते हैं।
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सीरिया में सक्रियता: ये लड़ाके सीरिया के इदलिब क्षेत्र में सक्रिय थे और हयात तहरीर अल-शाम जैसे इस्लामी गुटों के साथ मिलकर लड़ते थे। इसी गठजोड़ ने मिलकर असद सरकार को उखाड़ फेंका था।
बदलती कूटनीतिक परिस्थितियाँ
इस पूरे मामले में एक दिलचस्प मोड़ यह है कि असद सरकार के गिरने के बाद से लगभग एक साल में, सीरिया की नई इस्लामवादी सत्ता अपने जिहादी अतीत से दूरी बनाकर देश की कूटनीतिक छवि दोबारा गढ़ने में लगी हुई है। सीरिया एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता हासिल करने की कोशिश कर रहा है।
चीन, जो संयुक्त राष्ट्र में सीरिया का एक प्रमुख समर्थक रहा है, वह हमेशा से इन लड़ाकों को वापस सौंपे जाने की मांग करता रहा है। भले ही सीरिया ने सार्वजनिक रूप से खंडन किया हो, लेकिन चीन और सीरिया के बीच कूटनीतिक बातचीत में उइगर लड़ाकों का मुद्दा हमेशा एक प्रमुख एजेंडा रहा है, जो चीन के लिए उसकी सीमा के बाहर मौजूद सबसे बड़े सुरक्षा खतरे को दिखाता है।