पूरी दुनिया में अपनी करुणा, विनम्रता और मानवीयता से भरे फैसलों के लिए मशहूर जज फ्रैंक कैप्रियो अब इस दुनिया में नहीं रहे। 88 साल की उम्र में उन्होंने अमेरिका के रोड आइलैंड में अंतिम सांस ली। वे पैंक्रियाटिक कैंसर (अग्नाशय कैंसर) से लंबे समय से लड़ रहे थे। दिसंबर 2023 में उन्हें इस गंभीर बीमारी का पता चला था, जिसके बाद उन्होंने कीमोथेरेपी और रेडिएशन का इलाज कराया। मई 2024 में उनका इलाज पूरा हो गया था, लेकिन बढ़ती उम्र और शारीरिक कमजोरी के कारण वे पूरी तरह रिकवर नहीं हो सके और अंततः 2025 में उनका निधन हो गया।
उनके परिवार ने उनके इंस्टाग्राम अकाउंट के जरिए उनके निधन की पुष्टि की और उनके चाहने वालों से उन्हें याद करने और उनके मूल्यों को आगे बढ़ाने की अपील की।
इंसाफ का चेहरा बना ‘Caught in Providence’
जज फ्रैंक कैप्रियो का नाम पूरी दुनिया में इसलिए जाना गया क्योंकि उन्होंने न्याय के साथ दया और करुणा को जोड़ा। उन्होंने 38 साल तक अमेरिका की प्रोविडेंस म्यूनिसिपल कोर्ट में न्याय का काम संभाला। इस दौरान उनका अंदाज बेहद नरम, समझदार और विनोदी था।
उनकी कोर्ट सुनवाई को एक शो "Caught in Providence" के जरिए टेलीविजन और सोशल मीडिया पर दिखाया गया। इस शो में दिखाया गया कि कैसे एक जज कानून का पालन कराते हुए भी इंसान के हालात को समझकर न्याय कर सकता है। यही वजह है कि उन्हें लोग ‘दुनिया का सबसे दयालु जज’ कहने लगे।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए फैसले
फ्रैंक कैप्रियो के कोर्ट के कई वीडियो सोशल मीडिया पर लाखों-करोड़ों बार देखे गए। वीडियो में वे बुजुर्गों, गरीबों, बच्चों और छात्रों के केस में जिस तरह मानवीय रवैया अपनाते थे, उसने सभी को भावुक कर दिया।
कई बार वे चालान माफ करते हुए लोगों से केवल एक वादा करते – “अपने बच्चों को स्कूल भेजो”, या “आगे से नियम का पालन करना”। ऐसे छोटे लेकिन गहरे संदेशों ने उन्हें लोगों के दिलों में बसा दिया।
उनके सम्मान में झुके झंडे
उनके निधन के बाद अमेरिका के रोड आइलैंड राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। सभी सरकारी भवनों पर झंडे आधे झुका दिए गए और उनके सम्मान में कोर्ट रूम का नाम बदलकर “The Chief Judge Frank Caprio Courtroom” रख दिया गया। दुनियाभर के नेताओं, न्यायाधीशों और आम लोगों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
गरीबी से जज बनने तक का संघर्ष
फ्रैंक कैप्रियो का जन्म प्रोविडेंस, रोड आइलैंड में हुआ था। उनके माता-पिता इतालवी मूल के थे। उनके पिता फल और दूध बेचते थे, जबकि फ्रैंक खुद बर्तन धोकर, अखबार बांटकर और जूते पॉलिश करके पढ़ाई का खर्च उठाते थे।
1953 में वे स्टेट रेसलिंग चैंपियन बने और 1958 में बोस्टन यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की। उन्होंने हमेशा कहा कि गरीबी ने उन्हें इंसाफ और मेहनत का महत्व सिखाया।
अंत में...
फ्रैंक कैप्रियो सिर्फ एक जज नहीं थे, बल्कि वे न्याय का एक मानवीय चेहरा थे। उन्होंने कानून को केवल किताबों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि लोगों के दिलों तक पहुंचाया। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि दयालुता और न्याय एक साथ चल सकते हैं।
अलविदा जज कैप्रियो – आप कानून के इतिहास में अमर रहेंगे।