लखनऊ न्यूज डेस्क: राजधानी लखनऊ की सड़कों पर नगर निगम की 700 से ज्यादा गाड़ियां बिना नंबर प्लेट, बिना पंजीकरण और बिना वैध अनुमति के दौड़ रही हैं। इनमें ट्रैक्टर–ट्रॉली, छोटा हाथी, हाईवा, जेसीबी, पिकअप और बड़े ट्रक शामिल हैं। इन गाड़ियों के कारण पिछले पांच साल में कम से कम सात लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि घायलों की संख्या का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है।
केवल नगर निगम की गाड़ियां ही नहीं, बल्कि निजी कंपनियों की सफाई और कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां भी बिना नंबर प्लेट और नियमों के उल्लंघन करते हुए सड़क पर उतारी जा रही हैं। इन गाड़ियों का कोई रिकॉर्ड, पहचान या फिटनेस नहीं है। न नंबर, न टैक्स, न बीमा, न फिटनेस, लेकिन वे शहर में ओवरलोड, तेज रफ्तार और गलत दिशा में दौड़ती रहती हैं, जिससे आम लोगों का जीवन खतरे में पड़ता है।
पुलिस और आरटीओ के पास जानकारी होने के बावजूद इन गाड़ियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। नगर निगम के अफसर भी जानते हैं कि ये गाड़ियां नियमों के खिलाफ चल रही हैं, लेकिन रोकने या पंजीकरण कराने का कोई कदम नहीं उठाया गया। इसके कारण लाखों और करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है, फिर भी कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।
नगर निगम के मुख्य अभियंता मनोज प्रभात ने कहा कि जिन गाड़ियों का पंजीकरण नहीं है, वे पुराने हैं और इनमें से लगभग 70 प्रतिशत खराब होने की वजह से खड़ी हैं। उन्होंने बताया कि हाल में खरीदी गई 25-30 नई गाड़ियों का पंजीकरण कर दिया गया है, लेकिन पुराने वाहनों के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।