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टारगेट से पहले ही हिडमा खत्म, अमित शाह ने दिया था 30 नवंबर तक का टाइम

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Posted On:Tuesday, November 18, 2025

श के कुख्यात और सबसे खूंखार नक्सलियों में से एक हिडमा को आखिरकार आंध्र प्रदेश के जंगलों में सुरक्षाबलों ने मार गिराया है। यह सफलता इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए 'टारगेट' समय से पहले ही पूरा कर लिया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा एजेंसियों को हिडमा के खात्मे के लिए 30 नवंबर, 2025 तक की समय-सीमा दी थी, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने इस काम को तय समय से 12 दिन पहले ही पूरा कर दिया।

🇮🇳 नक्सलवाद समाप्ति की बड़ी रणनीति

गृह मंत्री अमित शाह की व्यापक नक्सल विरोधी रणनीति के तहत, वह यह चाहते थे कि 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलियों का खात्मा हो, और इस लक्ष्य से चार महीने पहले ही हिडमा जैसे दुर्दांत कमांडर का सफाया हो जाए। इसके लिए उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों और सुरक्षाबलों को यह विशेष टास्क दिया था। हिडमा के मारे जाने के तुरंत बाद, अमित शाह ने शीर्ष अधिकारियों से बात की और इस बड़ी सफलता की समीक्षा की।

एक सुरक्षा समीक्षा बैठक में शाह ने नक्सल विरोधी अभियानों में लगे शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों को 30 नवंबर से पहले हिडमा को खत्म करने को कहा था। यह दर्शाता है कि हिडमा का खात्मा केंद्र सरकार की नक्सल विरोधी नीति में कितनी उच्च प्राथमिकता पर था।

कौन था कुख्यात हिडमा?

सुकमा जिले के पूवर्ती गाँव का मूल निवासी हिडमा, लगभग 1981 में पैदा हुआ था। वह प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन नंबर एक का कमांडर और माओवादी केंद्रीय समिति का सदस्य था।

  • अहमियत: ऐसा माना जाता है कि वह बस्तर क्षेत्र से इस प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा बनने वाला एकमात्र आदिवासी सदस्य था, जिससे उसका स्थानीय प्रभाव बहुत अधिक था।

  • खौफ: हिडमा पर 26 से ज़्यादा बड़े नक्सली हमलों में सीधी संलिप्तता पाई गई थी, जिसने उसे भारत के सबसे खूंखार नक्सलियों में से एक बना दिया था।

हिडमा ने कई वर्षों तक माओवादियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन नंबर एक का नेतृत्व किया था। यह बटालियन दंडकारण्य क्षेत्र में माओवादी संगठन का सबसे मजबूत सैन्य दस्ता है। दंडकारण्य का यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ के बस्तर के अलावा आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है।

'ताबूत में आखिरी कील'

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हिडमा का मारा जाना ऐसे समय में हुआ है जब बस्तर क्षेत्र में माओवादी गतिविधियां कम होने लगी हैं। बस्तर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इसे माओवादी आतंक के ‘ताबूत में आखिरी कील’ के रूप में देखा है।

अधिकारी ने पुष्टि की कि हिडमा और उसकी पत्नी राजे पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मरेदुमिल्ली के जंगल में आंध्र प्रदेश के सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए छह नक्सलियों में शामिल थे।

लंबे समय तक सुरक्षा एजेंसियों के बीच हिडमा की उम्र और रूप-रंग अटकलों का विषय रहा था। यह सिलसिला इस वर्ष की शुरुआत में उसकी तस्वीर सामने आने तक जारी रहा। इस बड़ी कामयाबी से देश में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई को निर्णायक गति मिलने की उम्मीद है।


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