5 दिसंबर के कारोबार में शेयर बाजार ने आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी के बाद मजबूती दिखाई। रेपो रेट कम करने के फैसले के बाद बाजार में तेजी आई और सेंसेक्स-निफ्टी ऊंचाई छूते नजर आए। लेकिन इसी सकारात्मक माहौल के बीच ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म्स और ट्रेडिंग ऐप्स ने निवेशकों और ट्रेडर्स की मुश्किलें बढ़ा दीं। दरअसल, क्लाउडफ्लेयर नेटवर्क में आई तकनीकी दिक्कत के कारण जीरोधा, एंजेल वन, ग्रो और कई अन्य ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म कुछ समय के लिए ठप पड़ गए।
लॉगिन और ऑर्डर एक्सीक्यूशन में दिक्कत
क्लाउडफ्लेयर के बैकएंड में आई इस खामी का सीधा असर ट्रेडिंग गतिविधियों पर पड़ा। हजारों यूजर्स लॉगिन नहीं कर पाए, वहीं जो प्लेटफॉर्म में प्रवेश कर सके, वे भी ऑर्डर प्लेस करने, डेटा लोड करने और लाइव मार्केट अपडेट पाने में असमर्थ रहे। मार्केट के सबसे सक्रिय समय में यह समस्या सामने आने से ट्रेडर्स की पोजिशन फंस गईं और कई लोगों ने सोशल मीडिया पर प्लेटफॉर्म को लेकर नाराजगी जाहिर की। ट्विटर (X) पर लगातार शिकायतें दर्ज हुईं कि ऑर्डर मैन्युअली कैंसिल नहीं हो रहे, चार्ट लोड नहीं हो रहे और पोजिशन अपडेट में देरी हो रही है। बाजार में वोलैटिलिटी के बीच इस तकनीकी गड़बड़ी से कई खुदरा निवेशकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।
क्लाउडफ्लेयर पर निर्भरता बनी बड़ी वजह
क्लाउडफ्लेयर एक वैश्विक नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता है, जो डेटा सुरक्षा, API प्रबंधन और ट्रैफिक सेटअप जैसी सेवाओं के लिए दुनियाभर की लाखों वेबसाइटों और टेक प्लेटफॉर्म को सपोर्ट करता है।
ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स भी इसी क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर हैं, जिसके कारण तकनीकी खामी आते ही कई एप्स एक साथ डाउन हो गए। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के रिटेल ट्रेडिंग इकोसिस्टम में 90% से अधिक एपीआई-ड्रिवन सर्विसेज क्लाउडफ्लेयर जैसे नेटवर्क से ही संचालित होती हैं। इसी वजह से किसी भी आउटेज का असर सीधे करोड़ों निवेशकों तक पहुंच जाता है।
मार्केट आवर्स में समस्या से बढ़ी चिंता
सुबह के ट्रेडिंग सत्र में जब बाजार तेज़ी से ऊपर जा रहा था, उसी समय सर्वर और API कनेक्टिविटी में बाधा आई। कई निवेशक जिनके पास फ्यूचर्स, ऑप्शंस या इंट्राडे ट्रेडिंग पोजिशन थी, वे न तो स्टॉपलॉस लगा सके और न ही समय रहते एग्जिट कर पाए। हालांकि क्लाउडफ्लेयर द्वारा सुधार प्रक्रिया शुरू होते ही सेवाओं की स्थिति कुछ समय बाद सामान्य होने लगी, लेकिन ब्रोकरेज फर्मों ने बैकएंड सिस्टम्स को पूरी तरह स्थिर करने के लिए निगरानी जारी रखी।
सिर्फ ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ही नहीं, अन्य सर्विसेज भी बंद
क्लाउडफ्लेयर के आउटेज का असर सिर्फ ब्रोकरेज पर ही सीमित नहीं रहा। AI चैटबोट सर्विसेज, ट्रैवल पोर्टल मेकमाईट्रिप, रिसर्च टूल्स और एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर भी प्रभावित हुए। यही नहीं, कुछ समय के लिए डाटा एनालिसिस और ऑटोमेटेड ट्रेडिंग बॉट्स भी काम करना बंद कर गए। हैरानी की बात यह है कि यह लगातार दूसरा महीना है जब क्लाउडफ्लेयर के नेटवर्क में बड़ा आउटेज आया। इससे पहले वाले आउटेज ने ChatGPT, X, Letterboxd, Downdetector और Spotify जैसी प्रमुख सेवाओं को प्रभावित किया था।
लगातार आउटेज से उठने लगे सवाल
पिछले दो महीनों में दो बड़े तकनीकी झटकों के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या डे-टू-डे डिजिटल फाइनेंस सर्विसेज के लिए सिंगल नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर पर इतना बड़ा भार रखना सुरक्षित है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रेडिंग जैसी रियल-टाइम और संवेदनशील इंडस्ट्री में बैकअप नेटवर्क या मल्टी-क्लाउड सेटअप होना जरूरी है, ताकि कोई भी आउटेज पूरे सिस्टम को ठप न कर दे।