भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने एक बड़ा और सर्वसम्मत फैसला लेते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की घोषणा की है। इस कटौती के बाद, रेपो रेट अब घटकर 5.25% हो गया है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रिकॉर्ड-कम महंगाई दर और मजबूत आर्थिक विकास के एक दुर्लभ संयोजन—जिसे "गोल्डीलॉक्स पीरियड" कहा जाता है—का हवाला देते हुए यह घोषणा की।
रेपो रेट में कमी का सीधा और सकारात्मक असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। खासतौर से जिन लोगों ने होम लोन लिया है, उनकी मासिक किस्त (EMI) कम हो सकती है, जिससे उनकी सालाना बचत में वृद्धि होगी। यह कदम अर्थव्यवस्था में ऋण के प्रवाह को प्रोत्साहित करेगा।
MPC मीटिंग की 5 प्रमुख बातें
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा द्वारा घोषित MPC मीटिंग की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:
1. रेपो रेट गिरकर 5.25% हुआ:
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि MPC ने एकमत से रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करने का फैसला किया। उन्होंने इसके पीछे इस साल की पहली छमाही में महंगाई 2.2% और ग्रोथ 8% रहने का हवाला दिया, जिसे गोल्डीलॉक्स पीरियड बताया गया, यानी आर्थिक विकास तेज है और महंगाई नियंत्रण में है।
2. रेपो रेट में कटौती तुरंत लागू:
MPC की मीटिंग 3, 4 और 5 दिसंबर को पॉलिसी रेपो रेट पर विचार-विमर्श करने और फैसला करने के लिए हुई। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया कि बदलते मैक्रोइकोनॉमिक हालात और आउटलुक के विस्तृत असेसमेंट (Detailed Assessment) के बाद, MPC ने पॉलिसी रेपो रेट को तुरंत प्रभाव से 25 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 5.25% करने के लिए एकमत से वोट किया।
3. महंगाई का अनुमान ऐतिहासिक रूप से घटाया गया:
सेंट्रल बैंक ने आने वाली तिमाहियों के लिए अपने CPI महंगाई (खुदरा महंगाई) के अनुमान को ऐतिहासिक रूप से कम किया है। महंगाई के अनुमानों में यह कटौती अर्थव्यवस्था में कीमतों के दबाव में कमी का संकेत देती है:
| तिमाही |
पुराना अनुमान |
नया अनुमान |
| FY26 (पूरे साल) |
2.6% |
2% |
| Q3 FY26 |
1.8% |
0.6% |
| Q4 FY26 |
4% |
2.9% |
| Q1 FY27 |
4.5% |
3.9% |
RBI को Q2 FY27 में भी रिटेल महंगाई 4% रहने की उम्मीद है, जो RBI के आरामदायक लक्ष्य सीमा के भीतर है।
4. सर्वसम्मति से निर्णय (Unanimous Vote):
ब्याज दरों में कटौती का फैसला MPC के सभी छह सदस्यों ने एकमत से किया। यह सर्वसम्मति बाजार को यह मजबूत संकेत देती है कि RBI महंगाई नियंत्रण और आर्थिक विकास के संतुलन को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है।
5. लोन पर सीधा असर:
रेपो रेट में कटौती का सबसे सीधा असर बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण (Loans) पर पड़ता है। चूंकि रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक RBI से उधार लेते हैं, इसलिए यह कटौती बैंकों के लिए फंडिंग लागत को कम करेगी। उम्मीद है कि बैंक इस कटौती का फायदा होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन के ग्राहकों तक पहुंचाएंगे, जिससे EMI कम होगी और बाजार में लिक्विडिटी बढ़ेगी।