साल 2025 भारतीय निवेशकों के लिए एक बेहद असाधारण और विसंगतियों से भरा साल रहा है। यह वर्ष परंपरागत निवेश, विशेषकर कीमती धातुओं, और आधुनिक इक्विटी बाजार के बीच एक दिलचस्प द्वंद्व का गवाह बना। जहाँ एक ओर सोना और, उससे भी बढ़कर, चांदी ने निवेशकों को अविश्वसनीय रिटर्न दिया, वहीं दूसरी ओर भारतीय शेयर बाजार ने कई निराशाओं से गुज़ारा। यह कहानी भारतीय निवेशकों के विश्वास और रणनीति को नया आकार दे रही हैचांदी की अभूतपूर्व छलांग: 107% का बंपर रिटर्न
2025 की सबसे बड़ी निवेश कहानी निस्संदेह चांदी की रही है। यह कीमती धातु साल की शुरुआत में लगभग ₹86,000 से ₹87,000 प्रति किलोग्राम के आसपास थी। दिसंबर की शुरुआत तक, यह कीमत ₹1,80,000 रुपये से भी ऊपर जा चुकी थी।
चांदी की इस छलांग के पीछे मुख्य कारण:
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हरित ऊर्जा की मांग: सौर पैनलों (Solar Panels) की निर्माण प्रक्रिया में चांदी की औद्योगिक मांग में ज़बरदस्त वृद्धि हुई है। हरित ऊर्जा क्षेत्र तेजी से विस्तार कर रहा है।
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इलेक्ट्रिक वाहनों की खपत: इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बढ़ती डिमांड भी चांदी की खपत को बढ़ा रही है।
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रिकॉर्ड आयात: भारत ने 2025 के पहले चार महीनों में ही रिकॉर्ड 4,172 मीट्रिक टन चांदी का आयात किया, जो 2023 के पूरे साल के आयात को पार कर गया।
सोने का शानदार प्रदर्शन: 68% का रिटर्न
चांदी के मुकाबले थोड़ा कम, लेकिन सोने ने भी 2025 में निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। साल की शुरुआत में सोना ₹73,000-₹75,000 प्रति 10 ग्राम के आसपास था, जो दिसंबर तक ₹1,30,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुँच गया।
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रिटर्न: इस तरह, 2025 में सोने के निवेशकों को लगभग 68 प्रतिशत का रिटर्न मिला है।
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ऐतिहासिक मजबूती: 1979 के बाद से यह सोने का सबसे मजबूत साल माना जा रहा है।
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कमज़ोर रुपये का सहारा: वैश्विक बाजार में स्पॉट गोल्ड में लगभग 57% की बढ़त देखी गई, लेकिन भारत में सोने की कीमत में इस तेजी को कमजोर भारतीय रुपये का भी सहारा मिला। डॉलर के मुकाबले रुपये में 2025 में 5% से अधिक की गिरावट आई, जिससे घरेलू बाजार में कीमतें ज़्यादा बढ़ी हुई दिखीं।
भारतीय शेयर बाजार: निराशाजनक प्रदर्शन
भारतीय शेयर बाजार की 2025 की कहानी निराशा और अपेक्षाओं के मध्य का एक संतुलन है।
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कमजोर रिटर्न: बीएसई सेंसेक्स ने साल भर में मात्र 5.30 प्रतिशत का रिटर्न दिया है, जबकि एनएसई निफ्टी 50 ने 6.38 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।
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वैश्विक तुलना: यह रिटर्न न केवल सोना और चांदी से काफी पीछे है, बल्कि वैश्विक शेयर बाजारों के मुकाबले भी भारत का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। विश्व के 17 प्रमुख शेयर सूचकांकों में से भारत का सेंसेक्स सबसे निचले पायदान पर है।
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FPI की रिकॉर्ड निकासी: इस मामूली प्रदर्शन के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की रिकॉर्ड निकासी है। 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से ₹1.43 लाख करोड़ रुपये से अधिक की रिकॉर्ड निकासी की है, जिससे बाज़ार पर दबाव बना रहा।