भारतीय शेयर बाजार में आज जबरदस्त रैली देखी गई। बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी दोनों हरे निशान के साथ ट्रेड कर रहे हैं। बाजार में यह उत्साह मुख्य रूप से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद आया, जिसने रेपो रेट में 0.25 बेसिस पॉइंट की कटौती करने का फैसला किया।
कम खुदरा महंगाई (Retail Inflation) और कीमतों के बेहतर अनुमान ने RBI को आर्थिक विकास को सहारा देने का महत्वपूर्ण मौका दिया। MPC ने एकमत से रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 5.25% कर दिया है। फरवरी से अब तक रेपो रेट में यह कुल 125 बेसिस पॉइंट की कटौती है।
बाजार पर तत्काल प्रभाव
सुबह 10 बजे के बाद जब पॉलिसी का फैसला आया, तो बाजार में तत्काल उछाल देखा गया। कुछ खास सेक्टर्स जैसे बैंकिंग, NBFC, ऑटो और रियल एस्टेट से जुड़े शेयरों में 2% तक की बढ़त दर्ज की गई।
फैसले से पहले और बाद में प्रमुख सूचकांकों की स्थिति:
| सूचकांक |
पॉलिसी से पहले (9:46 बजे) |
पॉलिसी के बाद (10:00 बजे) |
बदलाव |
| निफ्टी बैंक |
59,349.05 (+0.10%) |
59,658.65 (+0.6%) |
309.6 अंक की बढ़त |
| निफ्टी ऑटो |
27,764.00 (+0.11%) |
27,850.25 (+0.4%) |
तेज़ी |
| निफ्टी रियल्टी |
892.45 (+0.26%) |
899.05 (+1%) |
तेज़ी |
फाइनेंशियल सेक्टर के शेयर 1.5% तक बढ़े। AU स्मॉल फाइनेंस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और IDFC फर्स्ट बैंक के शेयर 1% से 1.5% तक चढ़े। बड़े बैंकों जैसे HDFC बैंक और ICICI बैंक के शेयर भी 0.3% ऊपर रहे।
रियल एस्टेट और ऑटो में तेज़ी
रेपो रेट की कटौती का सीधा फायदा कर्ज (Loans) की दरों पर पड़ता है, जिससे रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर में मांग बढ़ने की उम्मीद होती है।
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रियल एस्टेट: रियल एस्टेट कंपनियों ब्रिगेड एंटरप्राइजेज, ओबेरॉय रियल्टी, प्रेस्टीज एस्टेट्स और DLF के शेयर 1% से 2% तक बढ़े।
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ऑटो कंपनियां: मारुति सुजुकी, आयशर मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर 1% तक बढ़े।
दूसरी तरफ, स्मॉल-कैप शेयरों में 0.6% की गिरावट आई, जबकि मिड-कैप लगभग स्थिर रहे।
ग्रोथ को मिलेगा बढ़ावा
ईटी की रिपोर्ट में मास्टर कैपिटल सर्विसेज के चीफ रिसर्च ऑफिसर डॉ. रवि सिंह ने इस कदम को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि RBI का रेपो रेट को 5.25% करना, सही समय पर लिया गया ग्रोथ को बढ़ावा देने वाला फैसला है। इस फैसले को कम महंगाई और कोर CPI में नरमी से समर्थन मिला है। पूरे साल महंगाई करीब 2% रहने का अनुमान है।
डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि RBI के लिक्विडिटी (तरलता) से जुड़े कदमों, जैसे OMOs (Open Market Operations) और डॉलर-रुपया स्वैप, से बैंकों तक इसका फायदा जल्दी पहुंचेगा। इससे बाजार में ज्यादा पैसा आएगा, बैंकों की फंडिंग कॉस्ट कम होगी और लोन देने की प्रक्रिया में सुधार होगा, जो अंततः आर्थिक विकास को गति देगा।