ताजा खबर
मरीजों को घातक इंसुलिन खुराक देने के लिए अमेरिकी नर्स को 380-760 साल की जेल   ||    ‘रोमांस स्कैम’ का शिकार हुई 74 साल की महिला, न सिर पर छत बची न पेट भरने को खाना, जानिए पूरा मामला   ||    इमरान खान को सता रहा हत्या कर दिए जाने का डर! जेल से लिखे पत्र में सेना पर उठाए सवाल   ||    निज्‍जर हत्याकांड में तीन भारतीय गिरफ्तार, कनाडा से जुड़ा है मामला, भारत पर क्यों लग रहा आरोप?   ||    कनाडा में गिरफ्तार तीन भारतीय कौन? लॉरेंस बिश्नोई से जुड़ा नाम, जानें इनकी कुंडली   ||    बार-बार हुआ गंदा काम तो सर्जरी करा लड़का बन गई ये खूबसूरत लड़की   ||    क्या प्याज होगी और सस्ती? सरकार ने लगाया 40 फीसदी निर्यात शुल्क   ||    PM Kisan: आधार कार्ड से कैसे चेक करें किस्त आई या नहीं? घर बैठे मिलेगी डिटेल   ||    पेंशन लेने वालों को सरकार का तोहफा, नई सुविधा से लाइफ हो जाएगी और आसान   ||    T20 WC 2024: रोहित-विराट ओपनिंग और पंत विकेटकीपिंग, ऐसी हो सकती भारत की प्लेइंग 11   ||   

चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भारत की विदेश नीति पर उठाए सवाल, जानिए पूरा मामला

Photo Source :

Posted On:Wednesday, April 24, 2024

मुंबई, 24 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं। ग्लोबल टाइम्स ने अपने आर्टिकल में कहा है कि भारत 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' (पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देना) पर चलता है। लेकिन पिछले कुछ समय से भारत का रवैया 'नेबर फर्स्ट पॉलिसी' की जगह 'इंडिया फर्स्ट' वाला हो गया है। भारत साउथ एशिया में जितना अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश करता है, उससे पड़ोसी देश उतने ही दूर हो रहे हैं। इससे साबित होता है कि भारत साउथ एशिया को अपना बैक्यार्ड समझता है। वह साउथ एशियन देशों पर भारत और चीन में से किसी एक को चुनने के लिए दबाव डालता है। शंघाई इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के प्रोफेसर ल्यू जोंग्यी ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि मालदीव के संसदीय चुनाव इस बात का सबूत हैं कि वहां के लोग अब भारत के आदेश का पालन नहीं करना चाहते हैं। उन्हें स्वतंत्र विदेश नीति का चुनाव किया है। वो आर्थिक और सामाजिक विकास को प्राथमिकता देते हैं।

तो वहीं, ग्लोबल टाइम्स ने अपने आर्टिकल में आगे लिखा, भारत के आक्रामक रवैये के कारण पड़ोसी देशों में भारत विरोधी भावनाएं पैदा हो रही हैं। भारत- चीन दुश्मन नहीं बल्कि पार्टनर हैं। मालदीव के लोगों ने भी मुइज्जू को इसलिए चुना है क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत मालदीव के आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है, जिससे उसकी स्वतंत्रता को खतरा है। मालदीव भारत और चीन दोनों से अच्छे रिश्ते रखना चाहता है। मालदीव के चुनाव उनका आंतरिक मसला है और चीन इस बात का सम्मान करता है। लेकिन कुछ पश्चिमी मीडिया ने इन चुनावों को सुर्खियों में लाने का काम किया। उन्होंने कहा कि यह चुनाव असल में भारत और चीन के बीच मुकाबला है। इसके अलावा भारत में भी कुछ मीडिया आउटलेट ने अपनी रिपोर्ट्स में कहा कि मालदीव का झुकाव चीन की तरफ बढ़ रहा है।

दरअसल, मालदीव में 21 अप्रैल को हुए संसदीय चुनावों में राष्ट्र्पति मोहम्मद मुइज्जु की पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला था। 93 सीटों पर हुए चुनाव में मुइज्जू की पार्टी नेशनल पीपुल्स कांग्रेस और उनकी समर्थक पार्टियों को 71 सीटें मिलीं। वहीं भारत समर्थक MDP को मात्र 12 सीटें हासिल हुई। चुनावों में जीत के बाद मंगलवार को मुइज्जू का बयान भी सामने आया। राष्ट्रपति​​​​​​ ने कहा कि नतीजों के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पता चलेगा कि मालदीव अपनी संप्रभुता और आजादी के मामले में कभी समझौता नहीं करेगा।


लखनऊ और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. Lucknowvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.