पाकिस्तान क्रिकेट एक बार फिर विवादों के भंवर में फंस गया है, और इस बार केंद्र में हैं टीम के भरोसेमंद विकेटकीपर-बल्लेबाज मोहम्मद रिजवान। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिजवान ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) द्वारा पेश किए गए सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने से साफ इनकार कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब उन्हें वनडे कप्तानी से हटाया गया और टी20 टीम से भी बाहर कर दिया गया — जिसके बाद उनके और बोर्ड के बीच तनाव और गहरा गया है।
वनडे कप्तानी छिनने के बाद बढ़ी नाराजगी
रिजवान को हाल ही में वनडे टीम की कप्तानी से हटाया गया था, जबकि टी20 स्क्वॉड में भी उन्हें जगह नहीं दी गई। बोर्ड के इस फैसले से नाराज होकर उन्होंने नया सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट साइन करने से मना कर दिया। बताया जा रहा है कि 30 खिलाड़ियों को यह कॉन्ट्रैक्ट ऑफर किया गया था, लेकिन उनमें से सिर्फ रिजवान ही ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अब तक इस पर दस्तखत नहीं किए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिजवान की नाराजगी केवल कप्तानी से नहीं, बल्कि टीम चयन और खिलाड़ियों की श्रेणी निर्धारण को लेकर भी है। उन्होंने इस फैसले पर पीसीबी अधिकारियों से आपत्ति जताई और कुछ “मुख्य बदलावों” की मांग रखी है।
रिजवान की दो बड़ी मांगें
पाकिस्तान की लोकल मीडिया के अनुसार, रिजवान ने पीसीबी के सामने दो प्रमुख शर्तें रखी हैं 
	- सीनियर और निरंतर अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को फिर से Category A में शामिल किया जाए।
- उनका कहना है कि जो खिलाड़ी लगातार टीम के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें सम्मान और स्थायी स्थान मिलना चाहिए।
नए कप्तान को तय कार्यकाल और पूर्ण स्वतंत्रता दी जाए। रिजवान का मानना है कि कप्तान को बिना बोर्ड के दबाव या राजनीतिक हस्तक्षेप के टीम प्रबंधन और रणनीति बनाने की पूरी छूट होनी चाहिए। इन दोनों मांगों को लेकर पीसीबी के भीतर चर्चा जारी है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
PCB के लिए नई मुश्किलें
पीसीबी पहले ही आलोचनाओं के घेरे में है चाहे बात चयन प्रक्रिया की हो या खिलाड़ियों के अनुशासन की। अब रिजवान जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी का सार्वजनिक विरोध सामने आने से बोर्ड की स्थिति और मुश्किल हो गई है। सूत्रों का कहना है कि पीसीबी ने रिजवान को मनाने की कोशिश की है, लेकिन वे अपने रुख पर अडिग हैं। एक वरिष्ठ बोर्ड अधिकारी ने कहा, “हम चाहते हैं कि रिजवान जल्द से जल्द कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करें। वह पाकिस्तान टीम के अहम खिलाड़ी हैं और हम नहीं चाहते कि कोई मतभेद टीम की एकता को प्रभावित करे।”
टीम के भीतर बढ़ती खींचतान
रिजवान के इस कदम ने पाकिस्तान टीम के अंदर “संतुलन” को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने कहा है कि बोर्ड को खिलाड़ियों की भावनाओं को समझने की जरूरत है, जबकि कुछ अन्य इसे “अनुशासनहीनता” करार दे रहे हैं। पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी ने कहा था कि “अगर कोई खिलाड़ी असंतुष्ट है तो उसे बोर्ड के साथ बैठकर बात करनी चाहिए, न कि सार्वजनिक रूप से विवाद बढ़ाना चाहिए।” वहीं, कुछ क्रिकेट विश्लेषकों का मानना है कि रिजवान का यह कदम टीम के लिए आत्म-सम्मान और पारदर्शिता की लड़ाई का प्रतीक है।
आगे क्या?
अब सवाल यह है कि क्या रिजवान अपने फैसले पर अडिग रहेंगे या बोर्ड की ओर से बातचीत के बाद स्थिति सामान्य होगी। रिजवान पाकिस्तान टीम के उन खिलाड़ियों में से हैं जो निरंतर प्रदर्शन और समर्पण के लिए जाने जाते हैं। अगर यह विवाद लंबा खिंचता है, तो टीम के मनोबल और संयोजन पर असर पड़ना तय है।