देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो (IndiGo) में पिछले कुछ दिनों से परिचालन में भारी व्यवधान देखने को मिला है। कंपनी को 550 से अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द करना पड़ा, जबकि कई उड़ानें घंटों देरी से रवाना हुईं, जिससे हजारों यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी है। एयरपोर्ट पर टिकट कैंसल कराने और असुविधा के कारण यात्री अपनी भड़ास सोशल मीडिया पर निकाल रहे हैं।
एक यात्री ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि वे "कल शाम 6 बजे से आज सुबह 9 बजे तक यानी 12 घंटे से भी ज्यादा समय से हैदराबाद एयरपोर्ट पर हैं, लेकिन इंडिगो ने पुणे की फ्लाइट को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की।" एक अन्य यात्री ने 12 घंटे से अधिक की देरी पर गुस्सा ज़ाहिर करते हुए कहा कि एयरलाइन "ठहरने की व्यवस्था न करनी पड़े इसके लिए वे हर बार 12 घंटे तक ‘बस 2 घंटे और’ कहकर टालते रहे।"
अव्यवस्था का अचानक सामने आना: FDTL नियमों का बड़ा असर
इंडिगो ने इस अव्यवस्था के लिए "कई अनजाने परिचालन चुनौतियों" को वजह बताया। इसमें छोटी-मोटी तकनीकी दिक्कतें, खराब मौसम, एविएशन सिस्टम में बढ़ता लोड, और सबसे महत्वपूर्ण, अपडेटेड क्रू रोस्टरिंग रूल्स (Flight Duty Time Limitations - FDTL) शामिल हैं।
हालांकि, कंपनी द्वारा गिनाई गई समस्याओं में से FDTL वाला मामला सबसे बड़ा है। पिछले साल जनवरी 2024 में, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने नागरिक विमानों के नियमों में बड़े बदलाव किए थे, जिसका उद्देश्य पायलटों और क्रू को पर्याप्त आराम देना था नए FDTL नियमों से क्या-क्या बदला?
नए DGCA नियमों ने पायलटों और क्रू के आराम और ड्यूटी समय को कड़ा कर दिया:
| नियम |
पहले |
अब |
| साप्ताहिक आराम |
36 घंटे |
48 घंटे |
| नाइट ड्यूटी विंडो |
5 घंटे |
6 घंटे (परिभाषा बदली गई) |
| नाइट ड्यूटी के बाद रेस्ट |
कम से कम 10 घंटे |
कम से कम 12 घंटे |
| नाइट शिफ्ट की सीमा (रोस्टर पीरियड में) |
6 बार तक |
सिर्फ 2 बार |
नए नियमों के लागू होते ही, एयरलाइंस के पुराने शेड्यूल के हिसाब से कई क्रू मेंबर ड्यूटी पर नहीं रह पाए। इससे रोस्टर में गड़बड़ी हुई और उड़ानों के कैंसलेशन तथा देरी की स्थिति उत्पन्न हो गई।
इंडिगो पर सबसे अधिक असर क्यों पड़ा?
सरकार के नए नियमों का सबसे अधिक असर इंडिगो पर पड़ने की मुख्य वजहें उसके ऑपरेशनल साइज़ और बिजनेस मॉडल हैं:
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विशाल ऑपरेशनल साइज़: इंडिगो रोज़ाना 2,200 से ज़्यादा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन करती है। यह दर एयर इंडिया द्वारा एक दिन में ऑपरेट की जाने वाली फ्लाइट्स की संख्या से लगभग दोगुना है। ऐसे में, अगर 10-20% उड़ानों पर भी असर पड़ता है, तो 200 से 400 फ्लाइट्स प्रभावित होती हैं, जिससे यात्रियों के लिए बड़ी अव्यवस्था फैलती है।
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लो-कॉस्ट मॉडल: इंडिगो एक लो-कॉस्ट एयरलाइन है जो पारंपरिक रूप से हाई-फ्रीक्वेंसी ओवरनाइट ऑपरेशन पर निर्भर रही है, ताकि फ्लाइट के घंटे ज़्यादा से ज़्यादा हों और डाउनटाइम कम से कम हो। यह मॉडल DGCA के नए, सख्त नियमों के बिल्कुल विपरीत है।
एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन की टिप्पणी
एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा कि कंपनियों को DGCA के नए नियमों को लागू करने के लिए पर्याप्त समय मिला था, लेकिन ज्यादातर कंपनियों ने "बहुत देरी से इसकी तैयारी शुरू की, और जरूरत के हिसाब से 15 दिन पहले क्रू रोस्टर को ठीक से बना नहीं सकी।" यह परिचालन विफलता सीधे तौर पर एयरलाइन के ख़राब योजना और तैयारी को दर्शाती है।