लखनऊ न्यूज डेस्क: लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हादसों का सिलसिला जारी, हाल ही में एक और दर्दनाक दुर्घटना में दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता ओमप्रकाश आर्या और उनके परिवार के चार सदस्य अपनी जान गंवा बैठे। यह हादसा सोमवार सुबह आगरा के फतेहाबाद इलाके में हुआ। ओमप्रकाश आर्या अपनी पत्नी पूर्णिमा सिंह, 12 वर्षीय बेटी अहाना और 4 वर्षीय बेटे विनायक के साथ प्रयागराज कुंभ स्नान से लौट रहे थे। एक्सप्रेस-वे के 31 किमी पर उनकी कार अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकराई और फिर दूसरी लाइन में जा पहुंची, जहां उनकी कार सामने से आ रहे ट्रक से टकरा गई। टक्कर इतनी भीषण थी कि परिवार के सभी सदस्य मौके पर ही दम तोड़ गए।
यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि अगर एक्सप्रेस-वे पर क्रैश बैरियर लगाए गए होते, तो शायद कार दूसरी लेन में न जाती और परिवार को बचाया जा सकता था। वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि क्रैश बैरियर से वाहनों को विपरीत दिशा में जाने से रोका जा सकता है। यमुना एक्सप्रेस-वे पर इस प्रकार के सुरक्षा उपाय लागू किए गए हैं और इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है।
इसके अलावा, सड़क दुर्घटनाओं में चालक की थकान भी एक प्रमुख कारण मानी जा रही है। रात में लंबी यात्रा करना, खासकर जब चालक थके होते हैं, तो दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से इस संबंध में कोई ठोस डाटा एकत्रित नहीं किया जाता, जिससे प्रभावी नीतियों की कमी नजर आती है।
उत्तर प्रदेश सड़क दुर्घटना जांच योजना 2023 के तहत, तीन या उससे अधिक लोगों की मौत होने वाली दुर्घटनाओं की जांच अनिवार्य है, लेकिन इन जांचों की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती। इससे योजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठते हैं। यदि इन आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाए तो इससे जन जागरूकता बढ़ सकती है और सड़क सुरक्षा में सुधार हो सकता है।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का दायित्व है कि वह दुर्घटनाओं, मृत्यु दर और घायलों के आंकड़े प्रकाशित करे, ताकि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जा सकें। यह कदम सड़क सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और भविष्य में ऐसे हादसों को टालने में मदद कर सकते हैं।