लखनऊ न्यूज डेस्क: लखनऊ ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा शहर बनने का गौरव पाया है, जो हर दिन निकलने वाले कचरे को पूरी तरह प्रोसेस कर रहा है। अब शहर में कचरे का कोई ढेर दिखाई नहीं देगा, क्योंकि लखनऊ को 'जीरो फ्रेश वेस्ट डंप' शहर घोषित किया गया है। यह सब शिवरी इलाके में बने तीसरे वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट की शुरुआत से संभव हो पाया है, जिसकी क्षमता रोजाना 700 मीट्रिक टन कचरा प्रोसेस करने की है।
लखनऊ में पहले से ही दो प्रोसेसिंग प्लांट काम कर रहे थे और अब तीसरे प्लांट के साथ कुल प्रोसेसिंग क्षमता 2,100 मीट्रिक टन प्रतिदिन से भी अधिक हो गई है। जबकि शहर से औसतन 2,000 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। नए प्लांट का उद्घाटन शहरी विकास मंत्री ए.के. शर्मा और महापौर सुषमा खर्कवाल ने किया। मंत्री शर्मा ने बताया कि इस पूरी व्यवस्था के लिए नगर निगम को करीब 100 करोड़ रुपये की मदद दी गई है और प्राइवेट कंपनियों के साथ साझेदारी की मंजूरी भी दी गई है।
मंत्री शर्मा ने बताया कि वर्षों से जमा करीब 19 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे में से लगभग दो-तिहाई को प्रोसेस किया जा चुका है, जिससे लगभग 25 एकड़ ज़मीन खाली हो चुकी है और अगले छह महीनों में 15 एकड़ ज़मीन और खाली हो जाएगी। महापौर ने बताया कि लखनऊ नगर निगम कचरे को तीन मुख्य उत्पादों में बदल रहा है – RDF (जिसका इस्तेमाल सीमेंट और खाद उद्योग में होता है), C&D वेस्ट (जो निर्माण कार्य में काम आता है), और ऑर्गेनिक खाद।
महापौर खर्कवाल और मंत्री शर्मा ने इस उपलब्धि को लखनऊ के लिए गौरव की बात बताया और कहा कि यह मॉडल देश-दुनिया के लिए एक उदाहरण बन सकता है। मंत्री ने "यूपी दर्शन पार्क" जैसी पहल का ज़िक्र किया, जहां कचरे से ताजमहल और लाल किले जैसी इमारतों की रेप्लिका बनाई गई हैं। प्रयागराज में भी इसी तरह का एक पार्क तैयार किया गया है। हाल ही में ब्राज़ील और आंध्र प्रदेश से आए प्रतिनिधिमंडल ने लखनऊ की कचरा प्रबंधन प्रणाली को सराहा है, जिससे यह साबित होता है कि शहर का यह मॉडल वैश्विक स्तर पर ध्यान खींच रहा है।