भारतीय स्टार्टअप जगत में 'क्विक कॉमर्स' (Quick Commerce) की जंग अब सड़कों से निकलकर शेयर बाजार के गलियारों तक पहुँचने वाली है। ज़ोमैटो और स्विगी, जो पहले से ही शेयर बाजार में अपनी पैठ जमा चुके हैं, उन्हें टक्कर देने के लिए अब जेप्टो (Zepto) अपना विशाल आईपीओ (IPO) लाने की तैयारी में है। शुक्रवार, 26 दिसंबर को कंपनी द्वारा सेबी (SEBI) के पास अपने ड्राफ्ट पेपर (DRHP) दाखिल करने की खबरों ने निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों के बीच खलबली मचा दी है।
जेप्टो का 'गोपनीय' आईपीओ मार्ग
सूत्रों के अनुसार, जेप्टो ने अपने आईपीओ के लिए 'कॉन्फिडेंशियल फाइलिंग' (Confidential Filing) का रास्ता चुना है। इस मार्ग की खास बात यह है कि कंपनी को अपने वित्तीय दस्तावेज और रणनीतियों को तुरंत सार्वजनिक नहीं करना पड़ता। इससे कंपनी को बाजार की स्थितियों के अनुसार निर्णय लेने में अधिक लचीलापन मिलता है और नियामक (SEBI) के साथ शुरुआती चर्चा गोपनीय रहती है। जब कंपनी आईपीओ लाने के लिए पूरी तरह तैयार होती है, तभी इन दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाता है।
आईपीओ का आकार और मूल्यांकन
बाजार के जानकारों का अनुमान है कि जेप्टो के आईपीओ का साइज 11,000 करोड़ रुपये या उससे भी अधिक हो सकता है। यह इसे भारतीय स्टार्टअप इतिहास के सबसे बड़े आईपीओ में से एक बना देगा।
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वर्तमान मूल्यांकन: जेप्टो की वर्तमान वैल्यूएशन लगभग 7 अरब अमेरिकी डॉलर आंकी गई है।
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फंडिंग का इतिहास: कंपनी अब तक करीब 16,000 करोड़ रुपये (1.8 अरब डॉलर) का फंड जुटा चुकी है।
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यूनिकॉर्न का दर्जा: अगस्त 2023 में जेप्टो ने 1 अरब डॉलर से अधिक के मूल्यांकन के साथ यूनिकॉर्न होने का गौरव प्राप्त किया था।
दो युवाओं के जुनून की कहानी
जेप्टो की सफलता की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। इसकी स्थापना स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाले दो युवाओं, आदित पलिचा और कैवल्य वोहरा ने की थी। उन्होंने '10 मिनट डिलीवरी' के मॉडल को भारतीय बाजार की नब्ज पहचानते हुए लागू किया। जहाँ बड़ी-बड़ी कंपनियां संघर्ष कर रही थीं, वहीं जेप्टो ने अपने 'डार्क स्टोर्स' के नेटवर्क के जरिए बड़े शहरों में किराने के सामान की आपूर्ति को क्रांतिकारी बना दिया।
ज़ोमैटो और स्विगी के लिए बड़ी चुनौती
शेयर बाजार में जेप्टो के आने से प्रतिस्पर्धा त्रिकोणीय हो जाएगी:
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मार्केट शेयर की जंग: क्विक कॉमर्स सेक्टर में ज़ोमैटो (ब्लिंकिट) और स्विगी (इंस्टामार्ट) पहले से ही काबिज हैं। जेप्टो के पास भारी-भरकम पूंजी आने के बाद वह अपने नेटवर्क को और विस्तार दे सकेगा।
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निवेशकों का रुझान: अब तक जो निवेशक ज़ोमैटो या स्विगी को क्विक कॉमर्स का एकमात्र विकल्प मानते थे, उनके पास अब जेप्टो के रूप में एक नया और तेजी से बढ़ता हुआ विकल्प होगा।
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डिलीवरी मॉडल: जेप्टो का पूरा ध्यान केवल 'क्विक कॉमर्स' पर है, जबकि ज़ोमैटो और स्विगी का मुख्य व्यवसाय फूड डिलीवरी है। यह विशेषज्ञता जेप्टो को शेयर बाजार में बढ़त दिला सकती है।
निष्कर्ष
जेप्टो का आईपीओ भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो अगले साल यानी 2026 की शुरुआत में जेप्टो शेयर बाजार में सूचीबद्ध होकर ज़ोमैटो और स्विगी की श्रेणी में खड़ा होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जेप्टो अ