भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती किए जाने के बाद, देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने भी ग्राहकों को राहत देने का फैसला किया है। एसबीआई ने अपने सभी प्रमुख लोन बेंचमार्क, जैसे MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट), EBLR (एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट) और RLLR (रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट) में कटौती की घोषणा की है।
बैंक ने अपनी पुरानी बेंचमार्क दरों, BPLR (बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट) और बेस रेट में भी बदलाव किया है। इन कटौतियों से रिटेल और कॉर्पोरेट दोनों तरह के ग्राहकों के लिए लोन लेना सस्ता हो जाएगा, जिससे उनकी मासिक किस्तें (EMI) कम होने की उम्मीद है।
MCLR में कटौती: विभिन्न समय-सीमाओं में राहत
एसबीआई ने अलग-अलग समय-सीमाओं के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में कमी की है। यह कटौती लोन लेने वालों को तत्काल राहत प्रदान करेगी।
| समय-सीमा (Tenure) |
पुरानी दर |
नई दर |
कटौती (bps) |
| ओवरनाइट और एक महीना |
7.90% |
7.85% |
5 |
| तीन महीने |
8.30% |
8.25% |
5 |
| छह महीने |
8.65% |
8.60% |
5 |
| एक साल |
8.75% |
8.70% |
5 |
लंबी अवधि वाले लोन के लिए भी इसी तरह की कटौती की गई है। एक साल की MCLR को 8.75% से घटाकर 8.70% कर दिया गया है। इसी प्रकार, दो साल और तीन साल की MCLR दरों में भी 5 बेसिस पॉइंट की कमी आई है।
MCLR से जुड़े लोन, जैसे कि टर्म लोन, होम लोन, और ऑटो लोन, की ब्याज दरें MCLR के आधार पर तय होती हैं। इस कटौती से मौजूदा और नए ग्राहकों, जिनके लोन MCLR से जुड़े हुए हैं, को ब्याज भुगतान में बचत होगी।
EBLR और RLLR में बड़ी कमी
एसबीआई ने अपनी दो अन्य महत्वपूर्ण बेंचमार्क दरों—EBLR (एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट) और RLLR (रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट)—में भी महत्वपूर्ण कटौती की है। ये नई दरें 15 दिसंबर 2025 से लागू होंगी।
| बेंचमार्क |
पुरानी दर |
नई दर |
कटौती (bps) |
| EBLR |
8.15% |
7.90% |
25 |
| RLLR |
7.75% |
7.50% |
25 |
EBLR और RLLR सीधे आरबीआई के रेपो रेट से जुड़ी होती हैं। चूंकि आरबीआई ने रेपो रेट में 25 bps की कटौती की थी, इसलिए एसबीआई ने इन दोनों बेंचमार्क दरों को उसी अनुपात में कम कर दिया है।
EBLR और RLLR से जुड़े लोन वाले ग्राहकों को जल्द ही अपनी ब्याज दरों और EMI में स्पष्ट कमी देखने को मिलेगी। यह कमी उनके लोन की रीसेट तिथि और व्यक्तिगत लोन की शर्तों, क्रेडिट स्कोर तथा जोखिम श्रेणी (Risk Category) पर निर्भर करेगी। यह कदम बाजार में लोन की मांग को बढ़ाने और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है।