लखनऊ न्यूज डेस्क: पीजीआई के हालिया शोध में सामने आया है कि बच्चों में होने वाला गठिया यानी जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (JIA) अनुवांशिक भी हो सकता है। अध्ययन के अनुसार, गठिया से पीड़ित 40 प्रतिशत बच्चों के परिवार या रिश्तेदारों में से किसी न किसी को पहले से यह रोग था। यह निष्कर्ष 361 रोगियों और उनके 8,224 परिवारजनों की जानकारी जुटाकर प्राप्त किया गया। इस शोध को क्लीनिकल रुमेटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
शोध डॉ. लक्ष्मी एमआर ने किया, जिन्होंने पीजीआई के क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग से डीएम पूरा किया है। उनका कहना है कि जुवेनाइल गठिया एक ऑटो-इम्यून रोग है, जिसमें बच्चों के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही जोड़ों पर हमला करती है। इसका असर बच्चों में 16 साल से पहले दिख सकता है। रोगी को जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न जैसी परेशानियां होती हैं, जिससे चलने-फिरने में दिक्कत आती है।
शोध में यह भी पाया गया कि गठिया सिर्फ जोड़ों तक सीमित नहीं रहता। यह हृदय और गुर्दे जैसी अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। लंबे समय तक सूजन बनी रहने पर कोरोनरी धमनी रोग और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। साथ ही, जोड़ों की विकृति और चलने में गंभीर कठिनाइयां हो सकती हैं।
मुख्य लक्षण:
जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न, खासकर सुबह के समय
चलने-फिरने या दैनिक गतिविधियों में कठिनाई
बुखार, त्वचा पर चकत्ते और आंखों की समस्याएं
डॉ. लक्ष्मी ने बताया कि इस शोध से यह साबित होता है कि यदि परिवार में गठिया का इतिहास है, तो बच्चों पर नजर रखना और समय पर इलाज कराना बेहद जरूरी है।