लखनऊ न्यूज डेस्क: नगर निगम की गुरुवार को हुई कार्यकारिणी बैठक एक बार फिर हंगामे की भेंट चढ़ गई। सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक में कार्यकारिणी सदस्यों ने कूड़ा उठाने से लेकर स्ट्रीट लाइट तक कई मुद्दों पर अफसरों को घेरा। अपर नगर आयुक्त नम्रता सिंह पर कार्रवाई की मांग करते हुए कई पार्षद धरने पर बैठ गए। इस दौरान मेयर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त गौरव कुमार से सवाल किया कि पिछली बैठकों के मिनट्स और पुनरीक्षित बजट की जानकारी अब तक क्यों नहीं दी गई। जवाब में नगर आयुक्त ने कहा कि दोनों दस्तावेज मेयर कैंप कार्यालय भेज दिए गए हैं, जिसके बाद माहौल और गरम हो गया और बैठक को एक घंटे बाद स्थगित करना पड़ा।
मेयर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि ढाई साल में किसी भी संकल्प पर ठोस काम नहीं हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक पहले से तय संकल्पों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक कार्यकारिणी की अगली बैठक नहीं बुलाई जाएगी। इस विवाद का केंद्र पुनरीक्षित बजट का मुद्दा भी रहा, जिस पर मेयर ने गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना है कि यह बजट एक गोपनीय और महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जिस पर विस्तृत चर्चा की जानी चाहिए थी, लेकिन नगर प्रशासन ने इसे केवल चपरासी और डाक के माध्यम से भेज दिया।
वहीं नगर आयुक्त गौरव कुमार ने कहा कि बजट मेयर कैंप कार्यालय को बाकायदा डाक से भेजा गया था, लेकिन वहां के कर्मचारी सुखदेव ने रिसीव करने से मना कर दिया। इसके बाद नगर आयुक्त ने उसे नोटिस जारी कर जवाब मांगा, और असंतोषजनक उत्तर मिलने पर उसका वेतन रोकने का आदेश दिया गया। साथ ही दूसरे कर्मचारी राजू वर्मा के खिलाफ भी जांच के निर्देश दिए गए हैं। माना जा रहा है कि दोनों पर जल्द बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
मेयर ने आगे कहा कि दस करोड़ रुपये का बजट जारी होने के बावजूद सड़कों पर गड्ढे अब तक पूरी तरह नहीं भरे गए हैं। कार्यकारिणी में पुनरीक्षित बजट पर कोई चर्चा नहीं की गई। अधिकारियों ने पैचवर्क के लिए 23 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजट की मांग की है, जिस पर मेयर ने कहा कि नई बैठक जल्द बुलाई जाएगी और तारीख तय करने को कहा गया है।