मुंबई, 10 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बिहार के बाद अब 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शुरू हुई वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर पश्चिम बंगाल में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस की बंगाल इकाई ने इस प्रक्रिया को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जस्टिस सूर्यकांत की बेंच, जो पहले से ही बिहार SIR मामले की सुनवाई कर रही है, अब इस याचिका पर भी विचार करेगी। वहीं, शीर्ष अदालत 11 नवंबर को तमिलनाडु सरकार की SIR प्रक्रिया से जुड़ी याचिका पर भी सुनवाई करेगी।
राज्य में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने आरोप लगाया है कि 27 अक्टूबर को प्रक्रिया शुरू होने के बाद से अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं। पार्टी का कहना है कि SIR के डर और मानसिक तनाव के कारण कई लोगों ने आत्महत्या कर ली, जबकि कुछ की मौत दिल का दौरा या ब्रेन स्ट्रोक से हुई। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे राजनीतिक प्रचार बताया और कहा कि तृणमूल जनता को गुमराह कर रही है।
बंगाल में भारी विरोध के बावजूद 80 हजार से अधिक बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर SIR फॉर्म बांट रहे हैं। 9 नवंबर की रात तक करीब 5.15 करोड़ फॉर्म वितरित किए जा चुके हैं। यह काम 4 नवंबर से शुरू हुआ था और 4 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान कई अनियमितताएं भी सामने आईं—बालुरघाट विधानसभा के 27 फॉर्म पूर्व बर्धमान जिले की सड़क किनारे मिले, जबकि पश्चिम मेदिनीपुर में एक BLO ने अपने पति से फॉर्म बांटने में मदद ली। न्यू अलीपुर के एक स्कूल में फॉर्म वितरण की घटना भी चर्चा में रही।
इन घटनाओं के बीच कई मौतों को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। साउथ 24 परगना के जॉयपुर निवासी सफीकुल की लाश 5 नवंबर को घर में फंदे से लटकी मिली। पत्नी ने दावा किया कि उन्होंने SIR के डर से आत्महत्या की, जबकि रिश्तेदारों ने इसे पारिवारिक मामला बताया। झाड़ग्राम के डोमन महतो की मौत को भी इसी प्रक्रिया से जोड़ा गया, लेकिन परिवार ने साफ किया कि उनकी मौत ब्रेन स्ट्रोक से हुई थी। पानीहाटी में 57 वर्षीय प्रदीप कर की आत्महत्या के मामले में पुलिस को जो सुसाइड नोट मिला, उसमें लिखा था—"मेरी मौत का जिम्मेदार एनआरसी है।"
राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती का कहना है कि SIR को लेकर भ्रम और आयोग की जागरूकता की कमी ने इस पूरे मुद्दे को राजनीतिक विवाद में बदल दिया है। वहीं, पूर्व बर्धमान जिले में बीएलओ नमिता हांसदा की स्ट्रोक से मौत ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। उनके पति ने आरोप लगाया कि यह मौत कार्यदबाव और मानसिक तनाव के कारण हुई। बीएलओ ऐक्य मंच ने सीईओ मनोज अग्रवाल से मृतक परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजे की मांग की है।
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस महासचिव अभिषेक बनर्जी ने घोषणा की है कि SIR के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों की मदद के लिए पार्टी ने हेल्प डेस्क और लीगल सेल बनाई है। अब तक पांच परिवारों को आर्थिक सहायता दी जा चुकी है, और पार्टी की एक विशेष टीम प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर रही है।
गौरतलब है कि SIR प्रक्रिया देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों—अंडमान-निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल—में एक साथ शुरू की गई है। इन इलाकों में लगभग 51 करोड़ मतदाता हैं। इस काम के लिए 5.33 लाख BLO और करीब 7 लाख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि (BLA) नियुक्त किए गए हैं। इस प्रक्रिया में मतदाताओं से उनके दस्तावेज और विवरण की जांच कराई जा रही है, ताकि डुप्लिकेट या गलत नामों को सूची से हटाया जा सके और छूटे हुए नामों को जोड़ा जा सके।