दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हुए हमले ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। इस हमले का आरोपी राजेश खिमजी, अब एक नई पहचान के साथ सामने आया है — एक पशु प्रेमी, मानसिक रूप से अस्थिर और समाज की हाशिए पर जी रहा एक आम नागरिक। इस घटना ने एक ओर जहां सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, वहीं दूसरी ओर एक व्यक्ति की मानसिक स्थिति और उसके जीवन संघर्ष की झलक भी पेश की है।
पशु प्रेमी निकला आरोपी
राजेश की मां भानुबेन के मुताबिक, उनका बेटा बचपन से ही जानवरों से बेहद लगाव रखता था। वह अक्सर आवारा कुत्तों और गायों को खाना खिलाता था। यहां तक कि जब वह घर पर होता था, तो अपने हिस्से का खाना भी जानवरों को खिला देता था। राजकोट में रहने वाले पड़ोसियों ने भी पुष्टि की कि राजेश एक सरल और दयालु व्यक्ति है, जिसने कभी किसी से झगड़ा नहीं किया। लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने उसकी मानसिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से थी नाराज़गी
राजेश, दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को हटाने को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश से आहत और नाराज़ था। वीडियो में जब उसने देखा कि कुत्तों को पकड़कर ले जाया जा रहा है, तो वह गहराई से आक्रोशित हो गया। उसने खाना छोड़ दिया और चुपचाप घर से निकल गया, यह कहकर कि वह उज्जैन जा रहा है। वह माह में एक बार उज्जैन महाकाल मंदिर दर्शन के लिए जाता था, लेकिन इस बार उसकी यात्रा का उद्देश्य कुछ और था।
मां ने मांगी माफी, की दया की अपील
भानुबेन ने मीडिया और पुलिस के सामने हाथ जोड़कर मुख्यमंत्री से माफी मांगी। उन्होंने कहा, "हम गरीब लोग हैं, मेरा बेटा मानसिक रूप से बीमार है। कृपया उसे माफ कर दीजिए।" उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें यह नहीं पता था कि राजेश दिल्ली जा रहा है और वहां जाकर इस तरह की हरकत कर देगा।
परिवार की आर्थिक स्थिति
राजेश का परिवार बेहद गरीब है। वह रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता है। उसकी पत्नी और एक बेटा है। मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी के बीच उसकी मनोस्थिति और बिगड़ गई। कई बार उसने अपने परिवार से भी इस बात को जाहिर किया कि आवारा जानवरों के साथ हो रहे अन्याय को वह सहन नहीं कर पा रहा।
हमले की असलियत
दिल्ली बीजेपी प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने मीडिया को बताया कि राजेश ने मुख्यमंत्री को थप्पड़ नहीं मारा, बल्कि उनका हाथ पकड़कर खींचने की कोशिश की, जिससे धक्का-मुक्की हुई और सीएम का सिर टेबल से टकरा गया। फिलहाल मुख्यमंत्री की स्थिति स्थिर है।
निष्कर्ष
राजेश का हमला न केवल एक राजनीतिक घटना थी, बल्कि यह उस मानसिक और सामाजिक तनाव की कहानी है जो कई बार आम लोगों को असामान्य कदम उठाने पर मजबूर कर देता है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि कहीं न कहीं, समाज और व्यवस्था को मानसिक स्वास्थ्य, गरीबी और संवेदनशीलता के मुद्दों पर भी उतनी ही गंभीरता से काम करना होगा, जितनी राजनीतिक सुरक्षा पर की जाती है।
इस मामले में अब न्यायिक प्रक्रिया का पालन होगा, लेकिन राजेश की पृष्ठभूमि को देखते हुए, एक इंसान के भीतर के संघर्ष को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।