लखनऊ न्यूज डेस्क: फिलीपींस का नागरिक हारून सारिप टूरिस्ट वीजा पर लखनऊ आया और करीब तीन दिनों तक नदवा दारुल उलूम के हॉस्टल में ठहरा रहा। इस दौरान वह शहर की ऐतिहासिक जगहों और पुरानी गलियों में घूमता रहा और तस्वीरें भी खींचीं, लेकिन न तो खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक लगी और न ही स्थानीय पुलिस को। नदवा प्रशासन ने भी विदेशी नागरिक के ठहरने की कोई सूचना संबंधित विभागों को नहीं दी।
मामला तब सामने आया जब इमीग्रेशन से मिले इनपुट के आधार पर एफआरआरओ (विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय) ने नदवा प्रबंधन से जवाब मांगा। नोटिस मिलने के बावजूद जरूरी औपचारिकताएं पूरी नहीं की गईं और इसी बीच हारून सारिप लखनऊ से दिल्ली चला गया। जानकारी के मुताबिक दिल्ली में उसने तबलीगी जमात की गतिविधियों में भी हिस्सा लिया।
एफआरआरओ की सूचना पर हसनगंज पुलिस ने पूरे प्रकरण की जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि हारून 30 नवंबर को नदवा के महादुल अली छात्रावास के कमरे नंबर 307 में ठहरा था, जहां वह फिलीपींस के ही एक छात्र मोहम्मद यासीर के पास रुका था। हॉस्टल रजिस्टर और अन्य रिकॉर्ड में हारून का कोई नाम दर्ज नहीं मिला, जिससे अवैध रूप से ठहराने की पुष्टि हुई।
प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने नदवा दारुल उलूम के प्रिंसिपल मौलाना अब्दुल अजीज नदवी, सब-रजिस्ट्रार डॉ. हारून रसीद, हॉस्टल वार्डन मोहम्मद कैसर नदवी, मुख्य गेट पर तैनात सुरक्षा कर्मी और कुछ अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी और पूरे मामले की गहराई से जांच जारी है।