मुंबई, 18 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय महाराज जी इन दिनों सीकर जिले के रेवासा धाम में कथा सुना रहे हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर वे शनिवार को जयपुर के आराध्य श्री गोविंद देवजी मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने ठाकुर जी का अभिषेक दर्शन किया। इस मौके पर श्री मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज जी और वृंदावन के कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी महाराज जी भी उनके साथ मौजूद रहे। दर्शन के बाद वे पुनः रेवासा लौटकर कथा में सम्मिलित हुए। कथा के दौरान उन्होंने गोविंद देवजी के प्राकट्य का वर्णन करते हुए बताया कि जब ठाकुर जी का स्वरूप प्रकट हुआ तो माताओं ने घूंघट कर लिया। इस पर वज्रनाभ ने अपनी दादी से कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि उनका मुखमंडल, नाक और होंठ स्वयं श्रीकृष्ण जैसे हैं। उपाध्याय ने कहा कि जयपुर में विराजमान श्री गोविंद देवजी, गोपीनाथ जी और करौली के मदन मोहन जी वास्तव में एक ही हैं।
उन्होंने बताया कि पहले मदन मोहन जी भी जयपुर में विराजते थे, बाद में करौली चले गए। गौड़ीय वैष्णव परंपरा के अन्य देवालय जैसे श्री दामोदर जी और श्री विनोदी लाल जी भी जयपुर में ही स्थापित हैं। उन्होंने कहा कि जयपुर को छोटी काशी कहा जाता है, लेकिन वास्तव में यह बड़ा वृंदावन है। जन्माष्टमी पर गोविंद देव जी के दर्शन को उन्होंने अपने लिए सौभाग्य बताया। महाराज जी ने यह भी कहा कि जब वे जगन्नाथ पुरी या द्वारका पुरी जाते हैं तो मन में भाव आता है कि भक्त दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं, जिन्हें कठिनाई न होती हो। लेकिन जयपुर में गोविंद देवजी को देखकर संतोष मिलता है कि यहां के लोग ठाकुर जी से अटूट प्रेम करते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने अपनी दादी से भगवान के स्वरूप के बारे में जानना चाहा था। जिस काले पत्थर पर श्रीकृष्ण स्नान करते थे, उसी से तीन विग्रह बने। उनमें मुखारविंद की छवि जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर में, वक्षस्थल की छवि गोपीनाथ जी मंदिर में और चरणारविंद की छवि करौली के मदन मोहन जी मंदिर में विराजमान है। मान्यता है कि इन तीनों स्वरूपों का एक ही दिन दर्शन करने से भगवान श्रीकृष्ण के संपूर्ण स्वरूप का दर्शन होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी विश्वास के कारण जन्माष्टमी पर लाखों श्रद्धालु जयपुर और करौली पहुंचकर तीनों मंदिरों के दर्शन का पुण्य लाभ उठाते हैं।