बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले विपक्षी महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर जारी विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने सहयोगी दल विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी की मांगों को सिरे से खारिज कर दिया है. सूत्रों के अनुसार, मुकेश सहनी ने RJD की कुछ सिटिंग सीटों पर दावा ठोका था, जिसे RJD की संसदीय समिति ने स्पष्ट रूप से नकार दिया है. पार्टी ने कड़ा रुख अपनाते हुए फैसला किया है कि वह अपनी जीती हुई सीटें किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगी. RJD नेतृत्व ने सहनी को साफ संदेश दिया है कि पार्टी उन्हें 15 सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं है.
इस गतिरोध के बीच RJD ने VIP प्रमुख को एक तरह का अल्टीमेटम भी दे दिया है. उन्हें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर वह गठबंधन में बने रहना चाहते हैं, तो उन्हें 15 सीटें स्वीकार करनी होंगी, अन्यथा वह स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने के लिए आजाद हैं. RJD का यह रुख दर्शाता है कि वह सीट बंटवारे में किसी भी सहयोगी दल को अत्यधिक रियायत देने के मूड में नहीं है, खासकर उन सीटों पर जहां उसका मौजूदा प्रतिनिधित्व है.
कांग्रेस के साथ भी 70 सीटों पर गतिरोध
सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में सिर्फ मुकेश सहनी ही नहीं, बल्कि सबसे बड़ी सहयोगी कांग्रेस के साथ भी तकरार जारी है. 243 सीटों वाली विधानसभा में, कांग्रेस इस बार 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक है, जबकि RJD नेता तेजस्वी यादव 2020 के फॉर्मूले को बदलना चाहते हैं और कांग्रेस को केवल 52 से 55 सीटें देने की पेशकश कर रहे हैं. हालांकि, हालिया चर्चाओं में संकेत मिले हैं कि RJD अब कांग्रेस को 61 सीटें देने को तैयार हो गई है. लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने 70 सीटें न मिलने की स्थिति में अकेले चुनाव लड़ने का अल्टीमेटम दे रखा है. इस खींचतान के कारण 13 अक्टूबर को दिल्ली में सीट शेयरिंग की घोषणा टल गई थी, और अब 14 अक्टूबर को अंतिम ऐलान होने की उम्मीद है. इस गठबंधन में RJD, कांग्रेस, VIP के अलावा CPI, CPM, JMM जैसे दल भी शामिल हैं, और सभी दल ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं.
त्रिकोणीय मुकाबले के संकेत
महागठबंधन की इस आंतरिक खींचतान के बीच, बिहार के चुनावी रण में दो मुख्य गठबंधन (NDA और INDIA ब्लॉक) को चुनौती देने के लिए तीन अन्य दल भी तैयार खड़े हैं. असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने मुस्लिम बहुल 32 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जिससे महागठबंधन के मुस्लिम वोट बैंक को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है. वहीं, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी वोट बैंक में सेंध लगाने को तैयार है. इसके अलावा, RJD प्रमुख लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल भी चुनाव मैदान में उतरकर RJD के आधार वोट बैंक को चोट पहुंचा सकती है. महागठबंधन के भीतर यह अंतर्कलह और बाहरी दलों की चुनौती, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लिए एक अनुकूल माहौल बना सकती है. अब देखना यह है कि क्या महागठबंधन अपनी एकता बनाए रखने में सफल हो पाता है या फिर सीटों की खींचतान अंततः टूट का कारण बनती है.