दिल्ली सरकार जल्द ही अपनी एक और लोक कल्याणकारी योजना को मूर्त रूप देने जा रही है. सरकार इस साल 23 अक्टूबर को पड़ने वाले भाई दूज के शुभ अवसर तक 'पिंक कार्ड' लॉन्च करने की तैयारी में है, जिसके माध्यम से महिलाओं और ट्रांसजेंडर समुदाय को राजधानी की बसों में आजीवन मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलेगी.
मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के कार्यालय ने परिवहन विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि दिवाली के दो दिन बाद भाई दूज (Bhai Dooj 2025) से पहले ही इस बहुप्रतीक्षित कार्ड को जारी करने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली जाएं. इस पहल का मुख्य उद्देश्य शहर भर की महिलाओं को अधिक सुविधा और गतिशीलता प्रदान करना है, विशेष रूप से त्योहारी सीज़न के दौरान जब बड़ी संख्या में लोग यात्रा करते हैं.
पिंक टिकट का डिजिटल रूप है पिंक कार्ड
दिल्ली की बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा की शुरुआत वर्ष 2019 में भाई दूज के अवसर पर 'पिंक टिकट' (पेपर-आधारित टिकट) के रूप में की गई थी. अब दिल्ली सरकार इसी पिंक टिकट प्रणाली को एक आधुनिक और स्थायी डिजिटल कार्ड में बदल रही है, जिसे 'पिंक कार्ड' कहा जाएगा. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह नई सुविधा भाई दूज से ठीक पहले या इस पर्व के दिन शुरू होने की संभावना है.
आजीवन वैधता और पंजीकरण की प्रक्रिया
'पिंक कार्ड' की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह आजीवन के लिए वैध होगा, जिससे दिल्ली की महिलाओं के लिए सार्वजनिक परिवहन आसान और सुगम हो जाएगा. यह एक तरह का स्थायी और व्यक्तिगत यात्रा पास होगा, जो दिल्ली की सरकारी बसों में निःशुल्क यात्रा की स्वतंत्रता प्रदान करेगा. नई सुविधा आने के बाद पुराना पेपर-आधारित टिकट सिस्टम समाप्त हो जाएगा. तकनीकी रूप से, इस कार्ड को DTC के ऑटोमेटेड फेयर कलेक्शन सिस्टम (AFCS) के माध्यम से एक्टिवेट करना होगा. हालांकि, यह कार्ड DTC द्वारा सीधे जारी नहीं किया जाएगा.
कार्ड बनवाने की प्रक्रिया में इच्छुक महिलाओं को DTC पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा. पंजीकरण के बाद, उन्हें चयनित बैंक में जाकर अपना 'केवाईसी (KYC) सत्यापन' पूरा कराना होगा. सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही यह 'सहेली कार्ड' जारी किया जाएगा. आवेदन करने वाली महिला का दिल्ली का बोनाफाइड निवासी होना अनिवार्य है. यह 'पिंक कार्ड' योजना दिल्ली में महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है. मुफ्त यात्रा की यह स्थायी सुविधा न केवल आर्थिक बोझ कम करेगी, बल्कि महिलाओं और ट्रांसजेंडरों की सार्वजनिक स्थानों तक पहुंच और गतिशीलता को भी बढ़ावा देगी.