रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे लंबे युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति समझौते की संभावनाओं में फिलहाल ठहराव आ गया है। रूस ने स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने से जुड़े किसी भी वार्तालाप में उसकी भागीदारी अनिवार्य होगी, लेकिन निकट भविष्य में रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच कोई शिखर वार्ता होने की संभावना नहीं दिख रही है। यह बयान क्रेमलिन की ओर से उस समय आया है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूक्रेन के लिए सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने पर विचार- विमर्श तेज हो रहा है।
सुरक्षा गारंटी और भरोसे की कमी
यूक्रेन सुरक्षा की गारंटी मांग रहा है ताकि भविष्य में कोई भी आक्रमण न हो सके। वहीं रूस ने साफ कर दिया है कि इस सुरक्षा व्यवस्था में वह शामिल होगा। लेकिन रूस के साथ सीधे वार्ता की बात आते ही यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगी देशों ने इसका विरोध किया है। उनका मानना है कि रूस पर भरोसा करना मुश्किल है और वे यूरोप के सुरक्षा तंत्र को और मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसी वजह से शिखर वार्ता की संभावनाएं फिलहाल समाप्त हो गई हैं।
ट्रंप-पुतिन की अलास्का में बैठक
15 अगस्त को रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की कोशिश में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अलास्का में मुलाकात की। यह 7 साल बाद दोनों राष्ट्राध्यक्षों की पहली आमने-सामने बैठक थी। बैठक में ट्रंप ने युद्धविराम और शांति समझौते पर जोर दिया, जबकि पुतिन ने स्पष्ट किया कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाएगा। दोनों नेताओं ने युद्ध के इलाकों के आदान-प्रदान पर भी चर्चा की, लेकिन तत्काल कोई युद्धविराम का समझौता नहीं हुआ।
ट्रंप ने इस बैठक को सकारात्मक बताया और मॉस्को में अगली बैठक का सुझाव दिया, जिस पर पुतिन ने सहमति दी। हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को इस बैठक में शामिल न किए जाने पर उन्होंने नाराजगी जताई और कहा कि उनकी गैरमौजूदगी में कोई सार्थक निर्णय संभव नहीं।
वाशिंगटन में ट्रंप-जेलेंस्की बैठक
15 अगस्त को ट्रंप-पुतिन की बैठक के बाद, 18 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में मुलाकात की। इस बैठक में यूरोपीय देशों के नेताओं के साथ यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष भी मौजूद थीं। जेलेंस्की ने इस अवसर पर रूस पर 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने और 2022 में आक्रमण करने का आरोप लगाया, जिसने युद्ध की शुरुआत की।
जेलेंस्की ने शांति वार्ता में अपनी हिस्सेदारी पर जोर देते हुए कहा कि बिना यूक्रेन की सहमति कोई भी समझौता नहीं हो सकता। उन्होंने रूस से तीन प्रमुख शर्तें भी रखी हैं, जिनका पालन किए बिना आगे की बातचीत संभव नहीं होगी।
निष्कर्ष
रूस-यूक्रेन युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में फिलहाल कई राजनीतिक और कूटनीतिक अड़चनें बनी हुई हैं। रूस और यूक्रेन दोनों के बीच भरोसे की कमी और सुरक्षा गारंटी को लेकर असहमति ने शिखर वार्ता की संभावनाओं को कमजोर कर दिया है। वहीं अमेरिका और यूरोप इस संघर्ष को समाप्त कराने में मध्यस्थता की भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन मुख्य पक्षों के बीच संवाद की कमी समस्या को और जटिल बना रही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब अगले दौर की वार्ताओं और रूस-यूक्रेन संघर्ष के संभावित समाधान पर टिकी हैं।