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जेलेंस्की के बाद अब इस देश के राष्ट्रपति के साथ हुई डोनाल्ड ट्रंप की भिडंत, सोशल मीडिया में वीडियो वायरल

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Posted On:Thursday, May 22, 2025

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा 21 मई 2025 को अमेरिकी राजधानी वाशिंगटन पहुंचे, जहां उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से महत्वपूर्ण मुलाकात हुई। इस बैठक में दोनों नेताओं के बीच कई गंभीर और संवेदनशील विषयों पर चर्चा हुई, जिसमें खासकर दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसानों की सुरक्षा को लेकर हुई बहस ने ज़ोरदार तहलका मचा दिया। साथ ही, इस अवसर पर दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और खेलों के क्षेत्र में दोस्ताना संकेत भी मिले, जिससे यह बैठक व्यापक रूप से चर्चा का विषय बनी।

ओवल ऑफिस में हुई महत्वपूर्ण बैठक

व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में हुई इस बैठक में ट्रंप ने अपने हाल के अनुभवों का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने 28 फरवरी 2025 को यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ हुई बातचीत के संदर्भ में बातें कीं। हालांकि, मुख्य फोकस दक्षिण अफ्रीका के अंदर बढ़ती नस्लीय हिंसा और श्वेत किसानों के खिलाफ हो रही कथित हिंसा पर था। ट्रंप ने बैठक में कहा कि दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसान अपने जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए मजबूर होकर देश छोड़ रहे हैं।

ट्रंप का आरोप: श्वेत किसानों का नरसंहार

डोनाल्ड ट्रंप ने बैठक में कहा कि कई श्वेत किसान अपनी जमीनों से बेदखल हो रहे हैं और कई मामलों में उनकी हत्या तक कर दी जा रही है। उन्होंने इसे एक गंभीर मानवाधिकार संकट बताया, जिसे वैश्विक स्तर पर नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। ट्रंप ने इस संदर्भ में एक वीडियो भी प्रस्तुत किया, जिसमें हिंसक नारे और श्वेत किसानों के खिलाफ घृणा फैलाने वाले दृश्य दिखाए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि दक्षिण अफ्रीका की सरकार इस समस्या को रोकने में विफल रही है।

रामाफोसा का विरोध और शांतिपूर्ण रुख

हालांकि, इस आरोप पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने पूरी तरह से इनकार किया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह इन आरोपों से सहमत नहीं हैं और वे इस तरह की हिंसा के खिलाफ हैं। रामाफोसा ने वीडियो को सरकारी नीति का प्रतिनिधि नहीं माना और इसे राजनीतिक मकसद से तैयार किया गया बताया। उन्होंने बैठक के दौरान शांतिपूर्ण और संयमित रवैया बनाए रखा, हालांकि उनकी प्रतिक्रिया से यह जाहिर हुआ कि इस विषय पर उनके और ट्रंप के बीच मतभेद गहरे हैं।

श्वेत किसानों के मसले पर टकराव

दोनों नेताओं के बीच यह बहस इस कदर तीव्र हुई कि व्हाइट हाउस में मौजूद लोगों ने इसे एक कूटनीतिक झटका माना। ट्रंप ने रामाफोसा पर अपने देश की समस्या को हल करने में असफल रहने का आरोप लगाया, वहीं रामाफोसा ने अपने देश की स्थिति की सफाई देते हुए कहा कि यह मुद्दा अधिक जटिल और संवेदनशील है। इस बहस ने दोनों देशों के बीच नस्लीय और राजनीतिक मुद्दों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी।

गोल्फ को लेकर सांस्कृतिक सौहार्द

हालांकि बहस के बीच, इस बैठक का एक और दिलचस्प पहलू था – गोल्फ के प्रति ट्रंप की रुचि। रामाफोसा ने ट्रंप को उपहार स्वरूप 14 किलोग्राम की गोल्फ बुक दी, जो दक्षिण अफ्रीका के मशहूर गोल्फर एर्नी एल्स और रीटिक गूसेन की यादगार थी। यह उपहार इस बात का संकेत था कि दोनों देशों के बीच केवल राजनीतिक मुद्दे ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और खेलों के क्षेत्र में भी दोस्ताना संबंध बनाए जा रहे हैं। बैठक के बाद रामाफोसा ने कहा कि यह वार्ता बहुत अच्छी रही और दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने का मौका मिला।

व्हाइट हाउस में वीडियो के कारण हुई लाइटें कम

इस बैठक का एक और उल्लेखनीय पहलू था कि श्वेत किसानों के खिलाफ कथित हिंसा को दिखाने वाले वीडियो के दौरान व्हाइट हाउस में लाइटें कम कर दी गई थीं, जिससे वीडियो पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। इस वीडियो में हिंसक नारे लगाते हुए श्वेत किसानों की हत्या की प्रेरणा देने वाले दृश्य दिखाए गए थे, जिससे बैठक का माहौल गंभीर और तनावपूर्ण हो गया। इस कदम ने विवाद को और भड़का दिया क्योंकि यह दर्शाता है कि इस मुद्दे को राजनीतिक मंच पर काफी गंभीरता से लिया जा रहा है।

निष्कर्ष: जटिल राजनीतिक समीकरण

सिरिल रामाफोसा और डोनाल्ड ट्रंप की यह बैठक न केवल दो देशों के बीच कूटनीतिक वार्ता का हिस्सा थी, बल्कि इसमें नस्लीय हिंसा, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय जैसे जटिल मुद्दे भी सामने आए। ट्रंप का आरोप और रामाफोसा का विरोध इस बात का प्रतीक है कि दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसानों की सुरक्षा और देश की सामाजिक स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विचार विमर्श की जरूरत है।

दूसरी ओर, इस बैठक में सांस्कृतिक सौहार्द के उदाहरण के रूप में गोल्फ उपहार की प्रस्तुति यह दिखाती है कि राजनयिक संबंधों में विविध पहलू जुड़े होते हैं और राजनीतिक मतभेदों के बीच भी दोस्ताना संवाद संभव है। आने वाले समय में इस बैठक के प्रभाव और विवादित मुद्दों पर दोनों देशों की नीतियों में क्या बदलाव आता है, यह देखने वाली बात होगी।


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