तालिबान सरकार के उद्योग और वाणिज्य मंत्री हाजी नूरुद्दीन अजीजी का हालिया भारत दौरा अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अफगानिस्तान के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार पाकिस्तान के साथ काबुल के व्यापारिक और राजनीतिक रिश्ते लगातार खटास में हैं। इस तनाव के बीच, अफगानिस्तान नए और मजबूत साझेदारों की तलाश में है, और भारत उसके लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प बनकर उभरा है।
हाजी नूरुद्दीन अजीजी: तालिबान शासन का 'व्यावहारिक' चेहरा
हाजी नूरुद्दीन अजीजी तालिबान सरकार में एक असामान्य और संयमित नेता के रूप में जाने जाते हैं। उनकी प्रोफ़ाइल ज्यादातर तालिबानी नेताओं से बिल्कुल अलग है:
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बंदूक की जगह कारोबार: जहाँ अधिकांश तालिबानी नेता युद्ध और हथियारों की दुनिया से निकले हुए हैं, वहीं अजीजी उन गिने-चुने उच्च-स्तरीय नेताओं में से हैं जिन्होंने कभी बंदूक नहीं उठाई।
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गैर-तालिबानी नेता: वे तालिबान शासन के भीतर उन बहुत कम मंत्रियों में शामिल हैं जो खुद तालिबानी नहीं हैं। वह एक व्यापारी और हिज्ब-ए-इस्लामी पार्टी (जिसका नेतृत्व गुलबुद्दीन हिकमतियर करते थे) से जुड़े रहे नेता हैं।
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आर्थिक परिवर्तन के अगुआ: अजीजी को तालिबान शासन के भीतर एक व्यावहारिक और संयमित नेता की पहचान मिली है। आज वह अफगानिस्तान की आर्थिक तस्वीर बदलने की सबसे अहम कोशिशों की अगुवाई कर रहे हैं और सक्रिय रूप से विदेश यात्राएँ कर अफगानिस्तान के आर्थिक हितों की पैरवी करते हैं।
व्यापारी से मंत्री तक का सफर
हाजी नूरुद्दीन अजीजी, अलहाज गुलबुद्दीन अजीजी के बेटे हैं।
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पृष्ठभूमि: उनका जन्म पंजशीर प्रांत के खेन्ज़ जिले के दश्त-ए-रेवात गाँव में एक धार्मिक, सम्मानित और कारोबारी परिवार में हुआ।
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कारोबारी अनुभव: अजीजी का कारोबारी अनुभव विस्तृत है। वह मध्य एशिया, यूएई और अफगानिस्तान में खनन और व्यापार के क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं।
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शिक्षा और समाज सेवा: उन्होंने अफगान शरणार्थियों को बेहतर अवसर देने के लिए दो स्कूल भी स्थापित किए— एक इस्लामी शिक्षा के लिए और एक आधुनिक शिक्षा के लिए।
हिज्ब-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध होने के बावजूद, तालिबान ने अजीजी पर भरोसा जताया और उन्हें सितंबर 2021 में उद्योग और वाणिज्य मंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी।
पाकिस्तान से तकरार और भारत की ओर रुख
अजीजी की यह भारत यात्रा पाकिस्तान के साथ बिगड़ते व्यापारिक संबंधों की पृष्ठभूमि में हो रही है।
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व्यापारिक नुकसान: पाकिस्तान ने सीमा पार व्यापारिक रास्तों को बंद कर दिया है, जिससे अफगानिस्तान के फल और अन्य निर्यात को करोड़ों रुपये का भारी नुकसान हो रहा है। टोलो न्यूज के अनुसार, दोनों देशों के व्यापारियों को 100 मिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा है।
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विकल्पों की तलाश: इस स्थिति ने काबुल को यह सोचने पर मजबूर किया है कि पाकिस्तान पर अपनी पारंपरिक निर्भरता को कम किया जाए और नए व्यापारिक रास्तों की तलाश की जाए।
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भारत से उम्मीद: अजीजी को उम्मीद है कि भारत के साथ मजबूत आर्थिक रिश्ते स्थापित करके वे मौजूदा व्यापारिक नुकसान को पाट सकेंगे और अफगानिस्तान के निर्यात के लिए नए द्वार खोलेंगे।