लखनऊ न्यूज डेस्क: बंथरा के पहाड़पुर निवासी लालता सिंह को सरिया चोरी के झूठे केस में जेल भेज दिया गया था। उनकी बात किसी ने नहीं सुनी और सिर्फ बयानों व एक बिल को आधार बनाकर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर दिया। कई महीनों तक लालता अपनी बेगुनाही साबित करते रहे, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। उन्होंने कहा कि सच की लड़ाई बेहद मुश्किल रही, पर अंततः न्याय मिला।
लालता के मुताबिक इस साजिश में शामिल पुलिसकर्मियों की विभाग में ऊपर तक सेटिंग थी। जब एंटी-करप्शन ने पहली बार जांच शुरू की तो आरोपितों ने जांच को वहीं से हटवाकर कृष्णानगर थाने में भिजवा दिया। वहां तैनात दरोगा आलोक कुमार सिंह ने भी बिना जांच के उन्हें और कुछ अन्य लोगों को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया और चार्जशीट भी दाखिल कर दी। पुलिस उनके बेटे व रिश्तेदारों के खिलाफ आगे कार्रवाई की तैयारी कर रही थी।
लालता ने हार नहीं मानी और शासन स्तर पर शिकायत की, जिसके बाद जांच दोबारा एंटी-करप्शन को सौंपी गई। करीब ढाई साल की जांच में पूरी साजिश उजागर हुई और यह साफ हो गया कि लालता व उनके साथी निर्दोष थे। अब जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की बारी है।
बहराइच, लखनऊ और अन्य स्थानों पर तैनात जिन पांच पुलिसकर्मियों पर साजिश रचने, झूठे सबूत तैयार करने और निर्दोषों को जेल भेजने के आरोप लगे हैं, उनके निलंबन की रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजी जा रही है। एंटी-करप्शन अब पूरे मामले की विवेचना आगे बढ़ाएगा ताकि सच में शामिल हर शख्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके।