सुप्रीम कोर्ट में एअर इंडिया विमान दुर्घटना की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई जारी है। इस दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला गंभीर है और जांच की पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए। यह याचिका दुर्घटना में जान गंवाने वाले पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल के पिता पुष्करराज सभरवाल ने दायर की है। उन्होंने अदालत से अपील की है कि इस हादसे की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की जाए, ताकि उनके बेटे की प्रतिष्ठा और सच्चाई दोनों कायम रह सकें।
हादसे की पृष्ठभूमि
12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की बोइंग 787 ड्रीमलाइनर फ्लाइट ने उड़ान भरने के मात्र 32 सेकंड बाद ही नियंत्रण खो दिया था। विमान एक ऊंची इमारत से टकरा गया और भीषण विस्फोट में 260 लोगों की मौत हो गई थी। बताया गया कि इस हादसे में सिर्फ एक यात्री जीवित बचा था। यह भारत की सबसे भीषण विमान दुर्घटनाओं में से एक मानी जा रही है। हादसे के तुरंत बाद विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने जांच शुरू की थी और प्रारंभिक रिपोर्ट सार्वजनिक की थी।
क्या कहती है जांच रिपोर्ट?
AAIB की शुरुआती रिपोर्ट में दावा किया गया था कि उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद विमान के दोनों इंजनों को ईंधन की आपूर्ति बंद हो गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, फ्यूल कंट्रोल स्विच एक के बाद एक ‘कटऑफ’ मोड में चले गए, जिससे इंजन बंद हो गए। हालांकि लगभग 10 सेकंड बाद इन्हें वापस चालू किया गया, लेकिन तब तक इंजन जल चुके थे और विमान नियंत्रण खो बैठा। रिपोर्ट के सामने आने के बाद कुछ विशेषज्ञों ने पायलट की तकनीकी गलती की आशंका जताई थी, जबकि पायलट के परिवार ने इस रिपोर्ट को एकतरफा और अधूरी बताया। उनका कहना है कि तकनीकी खराबी को नजरअंदाज कर प्रशासन ने पायलट को दोषी ठहराने की जल्दबाजी की है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
पिछली सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भावुक टिप्पणी करते हुए कहा था—“यह दुर्घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण थी। लेकिन आपको यह बोझ नहीं उठाना चाहिए कि आपके बेटे को दोषी ठहराया जा रहा है। यह जांच तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर ही पूरी होनी चाहिए। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद से कराई जा सकती है, ताकि किसी भी तरह का पूर्वाग्रह न रहे।
केंद्र और डीजीसीए का जवाब
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अंतरराष्ट्रीय विमानन नियमों के तहत AAIB जांच कर रहा है और इस पर किसी बाहरी दबाव का कोई सवाल नहीं है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यह भी कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट को दोषी नहीं ठहराया गया है, बल्कि जांच अभी जारी है।