मुंबई, 31 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। नेक्स्ट जेनरेशन ब्रह्मोस मिसाइल मिग-29, मिराज 2000 और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) जैसे प्लेटफॉर्म में फिट की जा सकेगी। इससे चीन बॉर्डर पर जमीनी हमलों को और प्रभावी बनाया जा सकेगा। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने बुधवार को यह जानकारी दी।एयर चीफ मार्शल ने कहा, नेक्स्ट जेनरेशन ब्रह्मोस मिसाइल स्मॉल वर्जन वाली होगी। जिसे छोटे लड़ाकू विमानों से भी छोड़ा जा सकेगा। 3 साल पहले लद्दाख में चीन के साथ हुई झड़प के बाद हमें इसकी जरूरत महसूस हुई। इसके बाद हमने इस पर काम करना शुरू कर दिया। लड़ाकू विमान सुखोई SU-30 पर ब्रह्मोस को अटैच करने के बाद वायुसेना की क्षमता में इजाफा हुआ है।
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल (CDS) अनिल चौहान ने ब्रह्मोस मिसाइल को देश का ब्रह्मास्त्र बताया। उन्होंने कहा, आत्मनिर्भरता का मतलब ये नहीं है कि हम भारत में हर चीज का उत्पादन करें। हमारे जैसे डेवलपिंग देश के लिए ये मुमकिन भी नहीं है। हम जॉइंट वेंचर स्थापित करने जा रहे है। ये अलग-अलग तरह के होंगे और ब्रह्मोस एयरोस्पेस एक ऐसा ही वेंचर है। उन्होंने आगे कहा, देश में आज ढेरों परिवर्तन हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय परिवेशों में हमारा कद बढ़ता जा रहा है। विश्व आज उम्मीदों से हमारी ओर देख रहा है। वहीं, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल अब तक तीनों सेनाओं को मिल चुकी है। पहली सुपरसोनिक मिसाइल इंडियन नेवी को 2005, इंडियन आर्मी को 2007 और इंडियन एयरफोर्स को 2020 में मिली। अब अगले कुछ साल में भारत के पास खुद की हाइपरसोनिक मिसाइल भी होगी।