रामपुर (उत्तर प्रदेश): दो पैन कार्ड से जुड़े धोखाधड़ी मामले में सात साल की सज़ा काट रहे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान की एप्लीकेशन पर रामपुर की कोर्ट ने आज एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने फैसला दिया है कि जेल प्रशासन या शासन को आज़म खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को किसी भी जेल में स्थानांतरित (शिफ्ट) करने से पहले कोर्ट की अनुमति लेनी होगी। रामपुर की एमपी/एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट में इस मामले की सुनवाई दोपहर बाद पूरी हुई और लंच के बाद फैसला सुनाया गया। कोर्ट का यह आदेश आज़म खान द्वारा दायर उस एप्लीकेशन पर आया है, जिसमें उन्होंने जेल से संबंधित तीन अहम मांगें की थीं:
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खराब सेहत का हवाला देते हुए उन्हें 'ए श्रेणी' (A category) की जेल में स्थानांतरित किया जाए।
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जेल से उनका स्थानांतरण रात के बजाय दिन में किया जाए।
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उन्हें उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म के साथ रहने की अनुमति दी जाए।
वादी के वकील संजीव सक्सेना ने कोर्ट के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि कोर्ट ने प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं कि दोनों पिता-पुत्र का जेल ट्रांसफर करने से पूर्व कोर्ट से आदेश लिया जाए। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जेल मैनुअल के हिसाब से आज़म खान और अब्दुल्ला को आवश्यक सुविधाएं दी जाएंगी। जेल अधीक्षक राजेश यादव के अनुसार, अगर कोर्ट से मंजूरी मिलती है तो आज़म खान को जेल में मच्छरदानी, कंबल और कुर्सी-टेबल जैसी सुविधा मिल सकती है।
जेल में आज़म और अब्दुल्ला को मिली अलग पहचान
दो पैन कार्ड मामले में कोर्ट द्वारा सात-सात साल की सजा सुनाए जाने के बाद आज़म खान और अब्दुल्ला आज़म को रामपुर की जिला जेल भेज दिया गया था। जेल मैनुअल के अनुसार, दोनों को अलग-अलग बैरकों में रखा गया है और उन्हें बंदी के तौर पर पहचान के लिए खास नंबर दिए गए हैं:
जेल अधीक्षक ने पुष्टि की है कि दोनों पिता-पुत्र को जेल मेन्यूल के हिसाब से ही भोजन और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं।
हेट स्पीच और मानहानि केस से हुए थे बरी
गौरतलब है कि आज़म खान को यह सजा ऐसे समय में मिली है, जब वह हाल ही में दो अन्य महत्वपूर्ण मामलों में बरी हुए थे। 7 नवंबर को लखनऊ की एमपी/एमएलए कोर्ट ने उन्हें 6 साल पुराने मानहानि के एक मामले से बरी किया था, जिसमें उन पर सरकारी लेटर पैड और मोहर का गलत इस्तेमाल करने का आरोप था। इससे पहले, वह 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दर्ज भड़काऊ भाषण (हेट स्पीच) के एक केस से भी बरी हुए थे।
ताज़ा फैसला आज़म खान और उनके बेटे के लिए महत्वपूर्ण राहत लेकर आया है, क्योंकि इसने उनके जेल स्थानांतरण को कोर्ट के विवेकाधिकार के अधीन कर दिया है, जिससे अचानक या रात के समय होने वाले किसी भी संभावित शिफ्ट पर रोक लग गई है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि खराब स्वास्थ्य के आधार पर 'ए श्रेणी' जेल की उनकी मांग पर प्रशासन और कोर्ट का अगला कदम क्या होता है।