मुंबई, 03 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। ब्राजील में रविवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव के पहले राउंड में वर्तमान राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो और पूर्व राष्ट्रपति लूला डि सिल्वा के बीच कड़ी टक्कर हुई। रविवार को ही मतदान हुआ और इसके खत्म होने के बाद वोटों की गिनती शुरू हुई। 99.87% वोट गिने जा चुके हैं। डि सिल्वा को 48.4% जबकि बोल्सोनारो को 43.23% वोट हासिल हुए। ब्राजील के संविधान के मुताबिक, चुनाव जीतने के लिए किसी भी कैंडिडेट को कम से कम 50% वोट हासिल करने होते हैं। ऐसा न होने पर टॉप 2 कैंडिडेट्स के बीच वोटिंग का सेकंड राउंड होता है। बोल्सोनारो साफ कर चुके हैं कि उनकी कंजर्वेटिव सोशल लिबरल पार्टी हर सूरत में इलेक्शन जीतेगी। पिछले दिनों उन्होंने कहा, मैं 2018 में इलेक्शन जीता। अगर इस बार फर्जीवाड़ा नहीं हुआ तो यह इलेक्शन भी वही जीतेंगे। और अगर वो चुनाव हारे तो वो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का रास्ता अपनाएंगे और नतीजों को कबूल नहीं करेंगे। लूला डि सिल्वा 2003 से 2010 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं। उन्हें बहुत शांत स्वभाव का व्यक्ति माना जाता है।
तमाम पोल्स और सर्वे में कहा जा रहा था कि पूर्व राष्ट्रपति लूला आसान जीत दर्ज करने जा रहे हैं। कुछ सर्वे में तो उन्हें 65% से ज्यादा वोट हासिल करते दिखाया गया। रविवार को मतदान के बाद साफ हो गया कि बोल्सोनारो को वेस्टर्न मीडिया भले ही हार की कगार पर बता रहा हो, लेकिन ब्राजीलियन इतनी आसानी से उन्हें खारिज करने वाले नहीं हैं। अब लैटिन अमेरिका के इस सबसे बड़े देश में राष्ट्रपति का फैसला 30 अक्टूबर को होगा। इसके पहले 21.7 करोड़ लोगों के इस देश में हिंसा होने का खतरा बना हुआ है। बोल्सोनारो पहले ही कह चुके हैं कि अगर नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहे तो वो इन्हें मानेंगे नहीं। ब्राजील के सामने पर्यावरण संतुलन, भुखमरी और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था जैसी चुनौतियां हैं। इसके बावजूद राष्ट्रपति बोल्सोनारो मतदाताओं को वोटिंग मशीन से फर्जीवाड़े के नाम पर गुमराह कर रहे हैं। उनका दावा है कि वो सिर्फ एक ही सूरत में इलेक्शन हार सकते हैं, यानी धांधली होने पर। उनका यहां तक कहना है कि फौज को रिजल्ट चेक करना चाहिए। देश में बाढ़ और अमेजन के जंगलों में आग जैसी कई घटनाएं हुईं। इसके बावजूद बोल्सोनारो ने इन इलाकों में कैम्पेन और रैलियां कीं। इसके लिए उनके विरोधी लामबंद भी हुए। बोल्सोनारो दावा करते हैं कि ब्राजील के सभी 27 राज्यों में उन्हें जीत हासिल होगी।