मुंबई, 20 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन) अंटार्कटिका के बर्फीले तट के नीचे वैज्ञानिकों ने हाल ही में 332 सबमरीन (समुद्री) कैन्यन की खोज की है, जो पहले ज्ञात कैन्यन की संख्या से पाँच गुना अधिक है। यह खोज समुद्री विज्ञान की दुनिया में महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि कई गहरे घाटियों का पता अब तक नहीं चला था — मुख्य रूप से तैरती बर्फ की शेल्फ़ के नीचे और अंटार्कटिका के दूरदराज समुद्री तट पर सोनार डाटा जमा करना बेहद मुश्किल है।
4,000 मीटर तक गहरे कैन्यन
इन कैन्यन में से कुछ की गहराई 4,000 मीटर से भी अधिक है। ये गहरी घाटियाँ महाद्वीपीय शेल्फ़ और गहरे समुद्र के बीच अवसाद, पोषक तत्व और पानी को प्रवाहित करने का काम करती हैं, जिससे समुद्री जीवन और वैश्विक जल संचरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना और यूनिवर्सिटी कॉलेज कॉर्क के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन के अनुसार, पूरी अंटार्कटिक सीमा पर पहली बार इन कैन्यनों का ठोस नक्शा तैयार हुआ है। ये समुद्री घाटियाँ न सिर्फ व्यापक हैं, बल्कि बर्फ़ की परत के वर्तमान और अतीत के बदलावों से भी सीधा संबंध रखती हैं।
पूर्वी और पश्चिमी अंटार्कटिका में अंतर
अध्ययन में पूर्वी और पश्चिमी अंटार्कटिका के कैन्यन तंत्र में महत्वपूर्ण अंतर पाया गया। पूर्व में कैन्यन ज्यादा शाखाओं वाले और विस्तृत हैं, जिससे अनुमान लगाया जाता है कि वहाँ की बर्फ़ शेल्फ़ लंबे समय से स्थिर बनी हुई है। वहीं पश्चिम में कैन्यन तीखे, सीधे और छोटे हैं, जो हाल ही के, अनियमित हिमनद गतिविधि का परिणाम हैं। ये भिन्नताएँ वैज्ञानिकों को अंटार्कटिका की बर्फ़ के प्रवाह के इतिहास को समझने और भविष्य के मौसम मॉडल को सुधारने में मदद करेंगी।
वैश्विक जलवायु और समुद्र स्तर पर पड़ेगा असर
इन कैन्यन का महत्त्व सिर्फ अंटार्कटिका तक सीमित नहीं है। ये घाटियाँ महाद्वीपीय शेल्फ़ से गहरे समुद्र तक सघन, खारे पानी के प्रवाह का मार्ग बनाती हैं, जिससे दक्षिणी महासागर में जल परिसंचरण तेज होता है। साथ ही, गर्म पानी की धाराएँ भी इन्हीं कैन्यनों से गुजर कर बर्फ़ की शेल्फ़ के नीचे तक पहुँचती हैं, जिससे पिघलने की प्रक्रिया तेज हो सकती है।
पहले कई जलवायु मॉडल अंटार्कटिका के तल को अपेक्षाकृत सपाट मानते थे, लेकिन अब इन नए नक्शों की मदद से वैज्ञानिक समुद्र के तल की जटिलता को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। इसका सीधा असर बर्फ़ की पिघलन की गति और भविष्य में वैश्विक समुद्र स्तर में होने वाली वृद्धि के आँकलन पर पड़ेगा।
निष्कर्ष
इस अध्ययन के मुताबिक, अंटार्कटिका के सबमरीन कैन्यन प्रणाली को समझना ज़रूरी है, क्योंकि ये तय करेंगे कि ग्लेशियर कितनी जल्दी समुद्र में पहुंचते हैं — और यह जानकारी दुनिया भर के तटीय समुदायों के लिए बहुत अहम है।