मौजूदा समय में वीडियो मीटिंग (Video Meeting ) कर्मचारी और कंपनियों के काम का अहम हिस्सा हो गई है. पर अकसर सुनने में आता है कि वीडियो मीटिंग थकान का कारण बनती है. कई बार लोगों का ये कहना होता है कि यह प्रत्यक्ष बैठकों के मुकाबले उतनी बेहतर नहीं होती. स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में इस पर रिसर्च हुई है. उसमें यह जाना गया कि वीडियो मीटिंग में थकान के ये प्रमुख कारण होते हैं. प्रोफेसर जर्मी बेलसन का कहना है कि दूर-दराज के संचार के लिए बेहद अच्छा माध्यम है लेकिन जरूरी नहीं कि आप हमेशा इसका इस्तेमाल ही करें. वीडियो कांफ्रेंसिंग (Video Confrencing) में आंख स्कीन से चिपकी रहती है और यह थकाऊ है.
महिलाओं के लिए ज्यादा मुश्किल
वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) के चलते वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर घंटो वक्त बिताने का निगेटिव असर पुरुषों के बजाय महिलाओं को अधिक होता है. ऑनलाइन होने वाली ऐसी मीटिंग को जूम फटिंग कहा जाता है. जूम फटिंग हर 7 में से एक महिला जबकि हर 20 में से एक पुरुष को प्रभावित करती है. स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार महिलाओं को लंबे समय तक ऑनलाइन कॉल्स (Online Calls) अटैंड करने पर ज्यादा थकान महसूस होती है.
ज्यादा नजर मिलाकर बात करना
ज्यादा करीबी और पूरी ताकत से नजर मिलाकर बात करना. यह स्थिति कुछ लोगों को ऐसी लगती है कि कोई उनको लगातार देख रहा है. यह एहसास लोगों के बीच में मंच पर बोलने जैसा होता है.
खुद को शीशे में देखने जैसा
वीडियो मीटिंग के दौरान खुद को रियल टाइम (Real Time) में देखना काफी थकान से भरा अनुभव है. बहुत सारे शोध बताते हैं कि खुद को शीशे में देखने के नकारात्मक भावनात्मक परिणाम हैं. इससे बचने के लिए सेटिंग में जाकर हाइड सेल्फ व्यू मोड लगा सकते हैं.