पांच दिवसीय दीप पर्व की शुरुआत आज दो नवंबर को धन त्रयोदशी और धनवंतरी जयंती के साथ होगी। कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी से चलने वाला पांच दिवसीय महापर्व कार्तिक शुक्ल द्वितीया तक चलेगा। महापर्व की इस श्रृंखला में धनतेरस व नरक चतुर्दशी, हनुमान जयंती, दीपावली, काली पूजा, अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, भइया दूज, चित्रगुप्त जयंती मनाई जाती है। शुभ-लाभ की कामना के साथ जनमानस के लिए पूजन-खरीदारी, आराधना-साधना के मुहूर्त-संयोग का अपना विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, विशेष व शुभ फल की प्राप्ति के लिए विधि-विधान का पालन श्रेयस्कर होता है।
आचार्य राधेश्याम शास्त्री के मुताबिक, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस व धनवंतरी जयंती मनाई जाएगी। यम पंचक भी इसी दिन से शुरू हो रहा है, जो छह नवंबर को भाई दूज तक चलेगा। इसी के साथ गो त्रिरात्रि का योग भी बन रहा है। मान्यता है कि धंवंतरी वैद्य समुद्र मंथन में इसी दिन अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसी कलश से लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। उसी केप्रतीक स्वरूप ऐश्वर्य वृद्धि के लिए बर्तन, स्वर्ण, रजत आभूषण खरीदने की परंपरा चली आ रही है।
ये मुहूर्त खरीदारी के लिए शुभ
ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल के मुताबिक, खरीदारी के शुभ मुहुर्त कु छ अन्य भी हैं
अभिजीत मुहुर्त: दिन में 11.27 से 12.12 तक
गोधूलि बेला: शाम 5.12 से 5.36 तक
वृषभ काल: शाम 6.05 से 8.01 तक
निशिता मुहूर्त: रात्रि 11.24 से 12.16 तक
अन्नकूट व गोवर्धन पूजा : पांच नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन विशाखा नक्षत्र रात में 26.22 तक है, इसमें आयुष्मान योग का संयोग प्रात: 7.12 तक और उसके बाद सौभाग्य योग है।