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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताई चिंता: मुसलमानों की गैर मुस्लिमों से शादी शरीयत में वैध नहीं

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Posted On:Thursday, August 5, 2021

 लखनऊ, 05 Aug 2021 मुस्लिम युवाओं और युवतियों की ग़ैर-मुस्लिम से शादी के बढ़ते मामलों पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने चिंता जताई है। बोर्ड ने अंतरधार्मिक शादियों को इस्लामी शरीयत में अवैध करार दिया है।
 
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने कहा कि इस्लाम में एक मुस्लिम लड़की केवल एक मुस्लिम लड़के से ही शादी कर सकती है। इसी तरह एक मुस्लिम लड़का एक मुशरिक (बहुदेववादी) लड़की से शादी नहीं कर सकता।
 
उन्होंने कहा कि अगर उसने शादी की रस्म अंजाम दी भी है तो शरीयत के अनुसार वैध नहीं होगी। मौलाना ने अफ़सोस जाहिर करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों और नौकरी में पुरुषों और महिलाओं का साथ-साथ होना और दीनी (धार्मिक) शिक्षा से अपरिचित और माता-पिता की ओर से प्रशिक्षण की कमी के कारण अन्तर धार्मिक शादियां हो रही हैं।
 
मौलाना ने कहा कि कई घटनाएं ऐसी भी सामने आई हैं जिसमें मुस्लिम लड़कियां ग़ैर-मुस्लिम लड़कों के साथ चली गईं और बाद में बड़ी परेशानियों से गुज़रना पड़ा। यहां तक कि उन्हें अपनी जिंदगी से भी हाथ धोना पड़ा। उन्होंने इस तरह की परेशानियों से बचने के लिये उलमा, धार्मिक संगठनों, परिवार, और समाज के लिए दिशा निर्देश जारी किये।

पर्सनल लॉ बोर्ड के दिशा निर्देश
 
1. उलेमा-ए-किराम जलसों में इस विषय पर ख़िताब करें और लोगों को इसके नुक़सान से जागरूक करें।
 
2. अधिक से अधिक महिलाओं के इज्तेमा हों और उनमें सुधारात्मक विषयों के साथ चर्चा करें।
 
3. मस्जिदों के इमाम जुमा के ख़िताब, क़ुरआन और हदीस के दर्स में इस विषय पर चर्चा करें और लोगों को बताएं कि उन्हें अपनी बेटियों को कैसे प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं न हों?
 
4. माता-पिता अपने बच्चों की दीनी (धार्मिक) शिक्षा की व्यवस्था करें, लड़के और लड़कियों के मोबाइल फ़ोन इत्यादि पर कड़ी नज़र रखें, जितना हो सके लड़कियों के स्कूल में लड़कियों को पढ़ाने का प्रयास करें, सुनिश्चित करें कि उनका समय स्कूल के बाहर और कहीं भी व्यतीत न हो और उन्हें समझाएं कि एक मुसलमान के लिए एक मुसलमान ही जीवन साथी हो सकता है।
 
5. आमतौर पर रजिस्ट्री कार्यालय में शादी करने वाले लड़के या लड़कियों के नामों की सूची पहले ही जारी कर दी जाती है। धार्मिक संगठन, संस्थाएं, मदरसे के शिक्षक गणमान्य लोगों के साथ उनके घरों में जाएं और उन्हें समझाएं और बताएं कि इस तथाकथित शादी में उनका पूरा जीवन ह़राम में व्यतीत होगा और अनुभव से पता चलता है कि सामयिक जुनून के तहत की जाने वाली यह शादी दुनिया में भी विफल ही रहेगी।
 
6. लड़कों और विशेषकर लड़कियों के अभिभावकों को ध्यान रखना चाहिए कि शादी में देरी न हो, समय पर शादी करें;  क्योंकि शादी में देरी भी ऐसी घटनाओं का एक बड़ा कारण है।
 
7. निकाह़ सादगी से करें, इसमें बरकत भी है, नस्ल की सुरक्षा भी है और अपनी क़ीमती दौलत को बर्बाद होने से बचाना भी है।
 


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