सूरत, 14 जुलाई 2021
सूरत मेट्रो रेल का काम जितनी तेजी से शुरू हुआ है उतनी तेजी से अब इसमें एक एक रोड़ा भी सामने आने लगा है क्योंकि सूरत रेलवे स्टेशन के बनाए जा रहे अंदर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन के पास एंट्री एग्जिट वाली मौजूदा जगह को लेकर तैयार हुई जीएमआरसी(गुजरात मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन) की डीपीआर में वहां आधी बस्ती ही गायब कर दी गई है जबकि वहां हकीकत में लगभग कुल 85 घर हैं जिनमे लोग रह रहे हैं और डीपीआर में इनके अस्तित्व को गायब कर दिया गया है जिससे अब वहां अंडरग्राउंड का काम करने आई जे कुमार इंफ्राप्रॉजेक्ट असमंजस में आ गई है क्योंकि उन्हें जो डीपीआर प्लान दिया गया है उसके अनुसार वहां की जमीन खाली है इसको लेकर जे कुमार ने अपनी सारी योजना बनाई और अब जब उनकी टीम आ गयी है तब उन्हें पता चल रहा है कि यहां ऐसी कोई जमीन खाली ही नही जहां हैवी मशीनरी रखी जा सके।
दरअसल सूरत मेट्रो के अंडरग्राउंड हिस्से का काम शुरू हुआ है जिसमे चौक बाजार से सूरत स्टेशन और सूरत स्टेशन से कापोद्रा तक लगभग साढ़े 6 किमी अंडरग्राउंड मार्ग है इसमें जे कुमार इंफ्राप्रॉजेक्ट द्वारा सूरत रेलवे स्टेशन के पास लंबे हनुमान रोड जीएसआरटीसी कार्यालय और खारवा चाल के सामने मेट्रो स्टेशन का काम शुरू है जिसमे गाइड वॉल का काम प्रगति पर है। और अब जो डीपीआर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने कॉन्ट्रैक्टर कंपनी जे कुमार को दिया है उसके अनुसार सूरत रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म चार के पास पार्किंग एरिया के बाहर वाला हिस्सा मैदानी है यानि वहां कोई घर या निजी संपत्ति नहीं है और अब जब जे कुमार यहां आ चुकी है साइट पर काम शुरू कर रही है तो हैरान है क्योंकि डीपीआर में जो जगह खाली है असल में वहां पूरी की पूरी बस्ती बसी हुई है जिसे खारवा चाल के नाम से जाना जा रहा है। यह बस्ती आज से 100 साल पुरानी है।
कॉन्ट्रैक्टर कंपनी अब ये कर रही है --
डीपीआर और जमीनी हकीकत के इस बड़े अंतर को देखिए हुए अब कॉन्ट्रैक्टर कंपनी जे कुमार इंफ्राप्रॉजेक्ट ने एक थर्ड पार्टी नियुक्त कर दी है। यह थर्ड पार्टी एक सर्वेयर के रूप में नियुक्त हुई जिसका मुख्य काम यही है कि डीपीआर में जीएमआरसी द्वारा बस्ती की जगह दिखाई गई खाली जमीन पर बड़ी संख्या में लोग रह रहे हैं इसका सत्यापन सर्वे के जरिये होगा। थर्ड पार्टी द्वारा प्रमाण के तौर पर यह सर्वे कराया जा रहा है कि ताकि जे कुमार जीएमआरसी को यह बता सके कि जहां आपने हमें खाली जमीन बताई है वहां तो लोग रह रहे है और हम इसका सर्वे कर आपको डाटा देंगे कि यहां कितने लोग रह रहे हैं।
सर्वे शुरू -85 घर निजी संपत्ति मिले
जे कुमार द्वारा नियुक्त थर्ड पार्टी ने सर्वे शुरू किया तो वहां कुल 85 घर मिले जिनमे लोग और उनके परिवार रह रहे हैं। भास्कर ने सर्वेयर कंपनी से इसका डाटा भी प्राप्त किया जिसमे वे घरों का सर्वे कर रहे हैं। वहां बसे सभी निवासी पिछले 100 सालों से रहते चले आ रहे हैं और वे सरकार को बिजली बिल भी चुका रहे हैं साथ ही वेरा भी भर रहे हैं।जे कुमार द्वारा नियुक्त थर्ड पार्टी की ओर से सर्वेयर रामेन्द्र कुमार ने बताया कि हम यह सर्वे जे कुमार की तरफ से कर रहे हैं क्योंकि डीपीआर में बताया गया है कि यहां संपती ही नहीं है इसलिए हम इसका पूरा डिटेल जमा कर रहे हैं और एक एक घर की तस्वीर लेकर उसका डाटा जमा कर रहे है और अब इसे हम इसकी रिपोर्ट बनाकर जीएमआरसी को सौपेंगे ताकि यह प्रमाणित हो सके कि यहां पर घर और निजी संपत्तियां हैं।
कहाँ रखे हैवी मशीनरी
डीपीआर में इस बदलाव से जे कुमार के सामने संकट खड़ा हो गया है कि आखिर अंडरग्राउंड सेक्शन के लिए स्टेशन बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली बड़ी और हैवी मशीनरी को कहां रखा जाए। कॉन्ट्रैक्टर कंपनी से जुड़े एक बड़े अधिकारी ने बताया कि यहां हमारी टीम साइट पर है। मैन पावर ग्राउंड पर है लेकिन डीपीआर में जो जमीन खाली बताई जा रही दरअसल वहां लोग रहे है जिससे अब हम मशीनरी कहा रखे। इसको लेकर हम सर्वे करा रहे हैं ताकि जीएमआरसी को हम बता सकें कि यहां तो पूरी की पूरी बस्ती बसी हुई है। ये हटें तभी तो काम में तेजी में आएगी।
स्थानिको की अलग जिद्द
जिस डीपीआर में वहां के बस्ती को गायब कर दिया गया है वहां के निवासियों को इसको लेकर आक्रोश बना हुआ है। स्थनीय निवासी और मेट्रो परियोजना में अपना घर बचाने के लिए कोर्ट जाने वाले इमरान पटेल ने बताया कि मेट्रो प्रशासन ने जान बुझ कर हमें डीपीआर में से गायब किया है ताकि हम अवैध मान लिए जाए और वक्त आने पर हमारे घरों पर बुलडोजर चला दिया जाए लेकिन हम ऐसे नहीं होने देंगे। हम जमीन नहीं खाली करेंगे भले ही हमें डीपीआर में गायब किया गया हो।
क्या कहा मेट्रो ने ----
सूरत मेट्रो रेल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सत्यप्रकाश झा ने इस बारे बताया कि अभी हम जो कुछ भी निर्माण कार्य कर रहे हैं वो डीपीआर प्लान के हिसाब से कर रहे हैं।डीपीआर प्लान पहले से ही बना हुआ है। हमें इस बारे में सभी परियोजना प्रभावितो को बता दिया है , इसको लेकर जो भी आपत्ति होगी वो जमीन संपादन के दौरान उन्हें मौक़ा दिया जाएगा ताकि वो अपनी बात रख सके।