बक्सर (बिहार), 27 जनवरी (न्यूज़ हेल्पलाइन) साल 2016 में जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी की थी, तो एक उद्देश्य के तहत लोगों को नशामुक्ति के तरफ ले जाने का प्रयास था। मगर विगत कुछ वर्षों में राज्य में शराबबंदी की जिस तरह से धज्जियां उड़ी है, उसे देखते हुए शराबबंदी के औचित्य पर ही सवाल उठने लगा है।
बिहार के बक्सर के अमसारी गांव में बीती रात करीब छह लोगों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई है। साथ ही चार लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ गए और उन्हें अस्पताल में इलाज हो रहा है। हालांकि पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, मगर यह फिरसे नकली जहरीली शराब से हुई मौतों के आंकड़ों में वृद्धि की तरफ संकेत करता हुआ दिखाई दे रहा है।
घटना की सूचना मुरार थाना क्षेत्र के अंसारी गांव की है। यह त्रासदी बिहार के सारण जिले में जहरीली शराब के संदिग्ध सेवन से पांच मौतों के एक सप्ताह के भीतर हुई थी। इससे एक सप्ताह पहले नालंदा जिले के अधिकारियों ने जहरीली शराब के सेवन से 11 लोगों की मौत की पुष्टि की थी।
बक्सर एसपी नीरज कुमार सिंह ने कहा कि प्रशासन को पांच लोगों की मौत की सूचना दी गई थी और पुलिस मामले की जांच कर रही है। बता दें कि विगत वर्ष 2021 के अक्टूबर-नवंबर में बिहार के विभिन्न जिलों में नकली देशी शराब के सेवन से 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
आज की बक्सर त्रासदी के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी युवा मोर्चा ने मांग की है कि शराबबंदी कानून को निरस्त किया जाए क्योंकि यह पूरी तरह से विफल है। बिहार सरकार में सहयोगी दल की भूमिका वाले भाजपा के प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने भी अपनी ही सरकार के ऊपर वार करते हुए कहा कि अगर बिहार में शराबबंदी कानून फेल हुआ है, तो इसका कारण उन अधिकारियों का है जो सख्ती से इसका पालन नहीं कर रहे हैं और इसका इस्तेमाल रंगदारी के लिए कर रहे हैं।
आज बक्सर शराब कांड में मृत हुए एक व्यक्ति के परिजन ने सरकार पर आरोप लगाते हुए हुए लाजिब सवाल उठाया जो कि लॉजिकल भी है। उन्होंने कहा कि यह नकली शराब के कारण हुआ। प्रशासन क्या कर रहा है? अगर शराब पर प्रतिबंध है, तो वे इसे कैसे प्राप्त कर रहे हैं?