कोट्टायम (केरल), 14 जनवरी (न्यूज़ हेल्पलाइन) केरल के कोट्टायम कोर्ट ने कुराविलंगड नन रेप मामले में आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल को आज बरी कर दिया है।कोट्टायम अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा 2018 नन बलात्कार मामले में बिशप फ्रैंको मुलक्कल को "दोषी नहीं" घोषित करने के फैसले के बाद बिशप मुलक्कल ने राहत महसूस करते हुए अदालत से बाहर कदम रखा, और उन्होंने कहा: "भगवान की स्तुति करो।"
ज्ञात हो कि फ्रेंको मुलक्कल भारत के पहले कैथोलिक बिशप थे जिन्हें नन के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसे 2018 में गिरफ्तार किया गया था। 45 वर्षीय नन ने अपनी शिकायत में कहा था कि 5 मई 2014 को बिशप ने कुराविलंगड (कुराविलंगड एक भारतीय शहर है जो केरल में कोट्टायम जिले के उत्तरी भाग में स्थित है) कॉन्वेंट का दौरा किया और रात में उसे अपने कमरे में बुलाया और उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। यही नहीं, नन ने अपने आरोप में कहा था कि 2014 से 2016 के बीच बिशप ने उसके साथ 13 बार रेप किया।
नन के द्वारा रेप की शिकायत के बाद, कई नन, कार्यकर्ता और राजनीतिक नेता मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर आगे आए। इसके बाद अन्ततः उसे 2018 में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान बिशप मुलक्कल ने दावा किया था कि वह 5 मई, 2014 को कुराविलांगड के कॉन्वेंट में नहीं रहा था, जैसा कि नन ने दावा किया था कि उसके साथ पहली बार बलात्कार वहीं किया गया था।
उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल कॉन्वेंट का दौरा किया और उस दिन मुथलाकोदम में एक अन्य कॉन्वेंट में रुके। आरोपों से इनकार करते हुए, मुलक्कल ने कहा कि नन ने उनके ऊपर यह आरोप सर्फ इसलिए लगाया क्योंकि एक महिला द्वारा नन के अपने पति के साथ संबंध होने की शिकायत के बाद उन्होंने उसके खिलाफ आंतरिक जांच का आदेश दिया था।
बिशप फ्रेंको मुलक्कल को 2013 में जालंधर का बिशप नियुक्त किया गया था। उनके जालंधर में अपने कार्यकाल के दौरान ही नन के साथ बलात्कार करने का आरोप लगा था। केरल पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद, नन के आरोपों पर उन्होंने 15 सितंबर, 2018 को बिशप का पद छोड़ दिया था। उसके बाद पुलिस ने अपनी जांच की और चार्जशीट प्रस्तुत किया था। विगत दिनों सुनवाई पूरी होने के बाद आज फैसला आने की खबर से कोट्टायम कोर्ट के बाहर भारी सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे।