कोच्चि (केरल), 2 नवंबर (न्यूज हेल्पलाइन) केरल के हाई प्रोफाइल सोने की तस्करी मामले में आज एक बड़ा मोड आया जब केरल उच्च न्यायालय ने इस मामले के मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश को आज जमानत दे दी। उसे 25 लाख रुपये के जमानत बांड और 2 सॉल्वेंट ज़मानत पर जमानत दी गई। स्वप्ना सुरेश इस केस के सिलसिले में 12 जुलाई 2020 से जेल में है। ज्ञात हो कि नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) द्वारा इस मामले को Unlawful Activities Prevention Act (UAPA) के तहत दर्ज किया गया था।
केरल सोने की तस्करी के मामले में आज केरल उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश के साथ सात अन्य आरोपियों सरित पीएस, मोहम्मद शफी पी, जलाल एएम, राबिन्स हमीद, रमीस केटी, शराफुद्दीन केटी और मोहम्मद अली को भी उनकी अपील पर एनआईए द्वारा दर्ज मामले में जमानत दे दी है।
ज्ञात हो कि राबिन्स हमीद, मोहम्मद शफी पी और रमीस केटी अपने विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम (COFEPOSA) अधिनियम की अवधि समाप्त होने तक जेल में रहेंगे। इसके अलावे अन्य सभी को जमानत के कागजात जेल में पहुंचते ही जेल से रिहा किया जाएगा। ज्ञात हो कि केरल हाई कोर्ट से पहले इन सभी को सीमा शुल्क विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर मामलों में जमानत मिल चुकी है।
तस्करी का यह घोटाला 5 जुलाई, 2020 को तब सामने आया, जब केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के हवाई अड्डे पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा 14.82 करोड़ रुपए मूल्य के 30 किलोग्राम सोना को जब्त किया गया। ज्ञात हो कि तस्करी का यह सोना राजनयिक सामान से जब्त किया गया था, जिसे कथित रूप से पूर्व वाणिज्य दूतावास कर्मचारी, पी सरित कुमार, और राजनीतिक लॉबिस्ट, स्वप्ना सुरेश, और शक्तिशाली नौकरशाहों द्वारा सहायता प्राप्त एक समूह द्वारा अंजाम दिया गया था। स्वप्ना सुरेश को इस मामले एमन मुख्य आरोपी बनाया गया था।
बता दें कि कल सोमवार को, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति सी जयचंद्रन की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने विशेष एनआईए अदालत के फैसले के खिलाफ स्वप्ना सुरेश और एक अन्य आरोपी सरित पीएस द्वारा दायर अपील में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसने उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।
इस मामले में स्वप्ना सुरेश और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि एनआईए यूएपीए के तहत याचिकाकर्ताओं पर मुकदमा चलाने के लिए मामला बनाने में विफल रही है। उनके खिलाफ कथित अपराध सोने की तस्करी था जबकि यूएपीए मुख्य रूप से उच्च गुणवत्ता वाली मुद्रा की जालसाजी के अपराध से निपटता था।
स्वप्ना सुरेश के वकील ने यह दलील भी दी कि अभियोजन का मामला साबित होने पर भी, केवल सोने की तस्करी के अपराध की श्रेणी में आता है, जो सीमा शुल्क अधिनियम के तहत आएगा, न कि यूएपीए के तहत। यह केवल एक सीमा शुल्क अपराध है, सबसे खराब स्थिति में। और सीमा शुल्क अपराध के लिए, याचिकाकर्ताओं को पहले ही जमानत दी जा चुकी है।