सूरत, 8 दिसंबर ( न्यूज हेल्पलाइन ) पांडेसरा में ढाई साल की बच्ची से हुए हत्या विथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी गुड्डू यादव को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। इस मामले में घटना होने के 33 दिनों में ही कोर्ट द्वारा फैसला सुना दिया गया है। पिछले ढाई साल में ये दूसरी बार है जब कोर्ट द्वारा बच्चियों से हो रहे दुष्कर्म के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है। ज्ञातव्य हो कि 4 नवंबर को रात 9 बजे वड़ोद गांव में रहने वाली बच्ची के पड़ोस में रहने वाला गुड्डू यादव ढाई साल की बच्ची को अपने साथ ले गया था। वडोद गांव से ढाई साल की बच्ची का अपहरण कर उसके साथ अमानवीय कृत्य किया गया था और फिर मुंह दबाकर उसकी हत्या करने के मामले में गुड्डू यादव को पोक्सो कोर्ट स्पेशल जज प्रकाशचंद्र काला द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई है।
इस मामले में कोर्ट ने टिप्पणी देते हुए कहा कि आरोपी का यह कृत्य क्रूर, हैवानियतभरा, मानवता के विरुद्ध, समाज के विरुद्ध और छोटे बच्चों की सुरक्षा के विरुद्ध है।
कोर्ट ने इस कृत्य को रेयरेस्ट ऑफ रेयर भी माना है। दिवाली से एक दिन पहले अश्लील फिल्म देखकर आरोपी गुड्डू ने 4 नवंबर की रात 9 बजे ढाई साल की बच्ची को घर के बाहर से उठा ले गया था। दो बच्चों का पिता गुड्डू यादव डाइंग मिल के पास बच्ची को झाड़ियों में ले गया था या उसके साथ दुष्कर्म किया और मुंह दबाकर उसकी हत्या कर दी इसके बाद आरोपी वहां से भाग गया और पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से 2 दिनों के भीतर आरोपी को पहचान लिया और शव भी बरामद किया उसके बाद पुलिस ने तीसरे दिन आरोपी को गिरफ्तार किया। आरोपी के खिलाफ इस मामले में चार्जशीट सात दिनों के भीतर ही जमा करा दी गई थी इसके बाद 6 हिस्सों में ट्रायल पूरी की गई और घटना होने के 33 दिनों के अंदर ही आरोपी को फांसी की सजा सुना दी गई।
पुलिस का काम
4 नवंबर की रात 9 बजे पांडेसरा पुलिस स्टेशन की हद से ढाई साल की बच्ची के गुम हो जाने के बाद पुलिस ने इसे गंभीरता से लेते हुए बच्ची को रात भर ढूंढा। जिसके बाद पुलिस ने अगले दिन सचिन और सचिन जीआईडीसी पुलिस स्टेशन की टीम को भी आगाह किया। इसके अलावा क्राइम ब्रांच और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की टीम को भी स्थानीय पुलिस के साथ लगाया गया। पुलिस ने करीब 250 लोगों की अलग अलग कई टीम बनाया था। मुताबिक बच्ची को ढूंढने के लिए पुलिस ने अलग-अलग पुलिस स्टेशन और ब्रांच की मिलाकर 10 अलग-अलग टीमें बनाई थी जिस पर बच्ची की फोटो के साथ 1,000 पोस्टर भी हुए थे। इसके अलावा रिक्शा में लाउडस्पीकर से घोषणा भी की थी। पुलिस ने 200 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की थी। बच्ची का शव मिलने के बाद पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की जांच की तो उसमें एक आदमी बच्ची को ले जाता हुआ नजर आया लेकिन कुछ साफ दिखाई नहीं दिया जिसके बाद सीसीटीवी बच्ची के पिता को दिखाया जिसने उसे पहचान लिया आरोपी का नाम गुड्डू कुमार मधेश यादव बताया जो बिहार के जहानाबाद जिले का रहने वाला है। पांडेसरा स्थित भगवती नगर निवासी आरोपी गुड्डू कुमार मधेश यादव को पुलिस ने 8 नवंबर को दोस्त के घर से गिरफ्तार किया था। 9 नवंबर की दोपहर को पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया। पुलिस ने आरोपी की पांच दिन के रिमांड की मांग की थी। जबकि कोर्ट ने तीन दिन का रिमांड मंजूर किया है। इसके अलावा पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी के मोबाइल में जो अश्लील वीडियो मिलेऔर डीएनए सैंपल तथा मेडिकल सैंपल 10 नवंबर को एफएसल जांच के लिए भेजे थे। इस मामले में सूरत पुलिस आयुक्त ने एफएसएल को पांडेसरा वाले मामले को टॉप प्रायोरिटी पर रखने को कहा था। जिसके बाद पांच दिनों के भीतर ही जांच के सारे रिपोर्ट 15 नवंबर को आ गए थे और उसी दिन कोर्ट में चार्जशीट भी पेश कर दिया था। 16 नवंबर को चार्जफ्रेम कर दिया था और फिर ट्रायल चला था। इसी दौरान 42 लोगों के स्टेटमेंट दर्ज किये गए और 76 दस्तावेज जमा कराए गए। एक पीएसआई समेत पांच लोगों की टीम ट्रायल के दौरान लगाई गई थी। जिनका काम कोर्ट के सारे आदेश को मानना था।
टाइम लाइन
4 नवंबर- वडोद में घर के बाहर खेल रही ढाई साल की बच्ची का अपहरण
5 नवंबर- रात 12.15 बजे पांडेसरा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज और 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी जांच में जुटे
6 नवंबर- जांच में 200 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को लगाया गया और वडोद के सारे घर ढूंढे गए
7 नवंबर- सुबह 11 बजे बच्ची का शव झाड़ियों से मिला
8 नवंबर- पुलिस ने आरोपी गुड्डू यादव को उसके दोस्त के घर से गिरफ्तार किया
10 नवंबर- सभी सैंपल जांच के लिए एफएसएल भेजे
15 नवंबर- एफएसएल की रिपोर्ट आई और शाम को कोर्ट में चार्जशीट पेश की
16 नवंबर- आरोपी के खिलाफ चार्जफ्रेम किया गया
इसके बाद 17, 18, 20, 22 और 23 नवंबर को ट्रायल चला
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने महाभारत और बच्चों की कहानी का संदर्भ देते हुए कहा कि बच्ची की उम्र ढाई साल है जिससे वह मानव व्यवहार से परिचित नहीं है महाभारत या मानव जीवन कैसा होना चाहिए और मनुष्य को कैसे जीवन जीना चाहिए और किस व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए उसका ज्ञान देता है। बच्चों की कहानी में राक्षस बच्चों को उठा लिया था लेकिन वर्तमान स्थिति में आरोपी ने जो कृति किया है वह राक्षस ही नहीं बल्कि उससे भी अधिक जघन्य है।
बच्ची के पिता ने बताया कि फैसले से खुश हूँ। इस मामले में पुलिस, वकील ने बहुत मेहनत किया है। उम्मीद ने थी फैसला इतना जल्दी आ जायेगा।
सूरत पुलिस आयुक्त अजय तोमर ने बताया कि लोगों की एक धारणा है कि गरीब लोगों की सुनवाई नहीं होती है। लेकिन इस मामले में पुलिस ने दिन रात लगा दिया था। ऐसे मामले आगे न बनें इसके लिए पुलिस कई प्रोग्राम चल रही है।