मुंबई, 18 जनवरी (न्यूज़ हेल्पलाइन) साल 1990 से लेकर साल 1996 तक बच्चों के अपहरण और उनके निर्दयतापूर्वक हत्या करने के मामले में आज बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस सीरियल किलर मामले में आरोपियों की फांसी की सजा को आज उम्र कैद में तब्दील कर दिया।
ज्ञात हो कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज कोल्हापुर की रेणुका शिंदे और सीमा गावित की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। इन्होंने 1990-96 के बीच 13 बच्चों का अपहरण किया था और उनमें से 9 को बेरहमी से मार डाला था। अदालत ने उनकी दया याचिकाओं पर फैसला करने में देरी के आधार पर उनकी सजा को फांसी से कम कर के उम्रकैद कर दिया है।
ज्ञात हो कि सत्र अदालत ने उन्हें छह बच्चों के अपहरण और हत्या का दोषी पाया था। आगे की कार्रवाई में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि अभियोजन पक्ष ने पांच मामलों को साबित किया और मौत की सजा की पुष्टि की थी, मगर सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी दया की अपील को खारिज करते हुए उन्हें मौत की सजा सुनाई थी।
भारत के राष्ट्रपति ने भी दया याचिका भी खारिज कर दी गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सौतेली बहनों रेणुका शिंदे और सीमा गावित की मौत की सजा को उनके शेष जीवन तक आजीवन कारावास में इस कारण से बदल दिया, क्योंकि उन्हें फांसी देने में देरी हुई थी। हालांकि अंतिम फैसला राज्य के हाई कोर्ट के अधीन छोड़ दिया गया था, जिसके तहत आज बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दी।
दरअसल ये दोनों बहनें साल 1990 से पहले चोरी और छोटी मोटी लूट किया करती थी। एक बार एक चोरी की घटना में रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद भी एक बच्चा गोद में होने के कारण लोगों ने इन्हें छोड़ दिया था। इस बात से प्रेरित होकर इन दोनों बहनों ने बच्चों का अपहरण कर उनका इस्तेमाल चोरी-डकैती में करने लगी। इस दौरान इन्होंने कई बच्चों की हत्या उनके सिर्फ रोने के कारण कर दी थी। हालांकि उनके ऊपर 43 से ज्यादा बच्चों के अपहरण के आरोप लगे, पर साबित 13 अपहरण के ही हुए। उनमें से 6 बच्चों की हत्या की बात भी साबित हुई थी। हालांकि, भले ही उन्हें फांसी न हो पर उन्हें अपनी अंतिम सांस तक जेल में ही रहना होगा।