आयकर रिटर्न (ITR) भरना हर साल की एक अहम प्रक्रिया होती है, जिसे तय समयसीमा में पूरा करना जरूरी होता है। लेकिन इस बार टैक्सपेयर्स को ITR भरने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल में तकनीकी खामियों के चलते लाखों लोग परेशान हैं। पोर्टल बार-बार हैंग हो रहा है, स्क्रीन फ्रीज हो रही है और लॉगइन करने में लगातार दिक्कतें आ रही हैं।
इन समस्याओं के कारण सरकार को ITR दाखिल करने की अंतिम तारीख एक दिन के लिए बढ़ाकर 15 सितंबर से 16 सितंबर 2025 करनी पड़ी। हालांकि, एक दिन की यह राहत कई टैक्सपेयर्स के लिए पर्याप्त साबित नहीं हुई, क्योंकि पोर्टल की समस्याएं 16 सितंबर को भी बनी रहीं।
तकनीकी खामी ने बिगाड़ी रफ्तार
आयकर पोर्टल पर अधिक ट्रैफिक के चलते सर्वर डाउन होने की शिकायतें पूरे देश से मिल रही थीं। टैक्सपेयर्स का कहना है कि वे लॉगइन करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पेज लोड नहीं हो रहा, या फिर लॉगइन के तुरंत बाद पोर्टल से ऑटोमेटिक लॉगआउट हो जा रहा है। कुछ यूजर्स को डॉक्यूमेंट अपलोड करने में भी दिक्कत आई है, जिससे समय पर रिटर्न फाइल करना संभव नहीं हो पाया।
आधी रात को बढ़ी डेडलाइन, लेकिन नाकाफी
सरकार ने समयसीमा बढ़ाने का निर्णय तो लिया, लेकिन यह घोषणा आधी रात को की गई। इससे बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स को इसकी जानकारी देर से मिली। सुबह जब लोगों को पता चला कि डेडलाइन बढ़ चुकी है, तब तक आधा दिन निकल चुका था। ऊपर से पोर्टल की तकनीकी खामियों ने हालात और बिगाड़ दिए।
लाखों लोग ITR फाइल नहीं कर पाए
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अभी भी 1.5 से 2 करोड़ टैक्सपेयर्स ऐसे हैं जिन्होंने ITR फाइल नहीं किया है। ये वे लोग हैं जो या तो पोर्टल में दिक्कतों के कारण फॉर्म भर नहीं पाए या उन्हें जरूरी डॉक्यूमेंट अपलोड करने में दिक्कत आई। ऐसे में विशेषज्ञ मांग कर रहे हैं कि सरकार को डेडलाइन को और आगे बढ़ाना चाहिए।
क्या आगे और बढ़ सकती है ITR भरने की तारीख?
इस सवाल का जवाब अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन टैक्स एक्सपर्ट्स और यूजर्स की ओर से लगातार मांग की जा रही है कि ITR फाइलिंग की डेडलाइन को कम से कम एक हफ्ते के लिए बढ़ाया जाए, ताकि सभी टैक्सपेयर्स को पर्याप्त समय मिल सके और कोई पेनल्टी न लगे।
पेनल्टी से कैसे बच सकते हैं?
क्लियरटैक्स के CEO अर्चित गुप्ता का कहना है कि यदि सरकार समयसीमा नहीं बढ़ाती है और कोई व्यक्ति तय तिथि तक ITR दाखिल नहीं कर पाता, तो उसे ₹5,000 तक की पेनल्टी भरनी पड़ सकती है। ऐसे में समयसीमा बढ़ना न केवल राहत देगा बल्कि आर्थिक नुकसान से भी बचाएगा।
निष्कर्ष
ITR फाइल करना हर टैक्सपेयर्स की जिम्मेदारी है, लेकिन जब पोर्टल ही काम न करे तो आम आदमी क्या करे? सरकार को चाहिए कि वह तकनीकी समस्याओं का स्थायी समाधान करे और टैक्सपेयर्स को फाइलिंग के लिए पर्याप्त समय दे। फिलहाल, सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या सरकार एक बार फिर तारीख बढ़ाने का फैसला करेगी।