अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के लगभग चार महीने बाद, युद्धग्रस्त देश बड़े पैमाने पर भुखमरी के कगार पर है क्योंकि आधी से अधिक आबादी ठंड के बीच तीव्र भूख का सामना कर रही है. संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम ने एक रिपोर्ट में कहा कि पश्चिमी समर्थित सरकार को हटाने के बाद तालिबान द्वारा देश पर नियंत्रण करने के बाद से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के अनुसार, आर्थिक संकट और नकदी की सीमित उपलब्धता ने भूखों का एक नया वर्ग तैयार किया है, क्योंकि पहली बार शहरी निवासियों को ग्रामीण समुदायों के समान दरों पर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में अफगानिस्तान का दौरा करने वाले डब्ल्यूएफपी प्रमुख डेविड बेस्ली ने कहा कि उनकी टीम देश में मानवीय आपदा को टालने के लिए "समय के खिलाफ दौड़" में है.
बेस्ली ने कहा, "अफगानिस्तान में जो हो रहा है वह बहुत ही भयावह है." बेस्ली आगे कहते हैं, "मैं उन परिवारों से मिला, जिनके पास कोई नौकरी नहीं थी, कोई पैसे नहीं थे और कोई खाने का सामान नहीं था, इतना ही नहीं पेट पालने के लिए मां अपने बच्चे को बेच रही है. दुनिया अपनी पीठ नहीं मोड़ सकती क्योंकि अफगान में लोग भूखे मर रहे हैं."
जैसे ही कड़ाके की ठंड पड़ रही है, मानवीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि दस लाख बच्चे अपनी जान गंवा सकते हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि खाद्य असुरक्षा और सामूहिक भुखमरी नई तालिबान सरकार के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए संभावित रूप से हानिकारक हो सकती है, जिसने सुन्नी पश्तून समूह के कार्यों को मापते समय आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं