हैदराबाद, 14 मई । तेलंगाना में भी म्यूकोर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) का असर दिखने लगा है। पिछले एक सप्ताह में राज्य के अस्पतालों में अब तक 70 मरीज भर्ती हुए हैं, जिनमें छह मरीजों की मौत हो चुकी है। जबकि तीन लोगों की आंख की रोशनी जा चुकी है।
हैदराबाद के सरकारी गांधी अस्पताल में भी ब्लैक फंगस के तीन मरीज भर्ती हैं। प्रशासन ने ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए सरोजिनी देवी आई अस्पताल में व्यवस्था की है। यहां अब तक 11 मरीज भर्ती हुए हैं। इनमें से तीन मरीज अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं। अन्य आठ मरीजों का उपचार जारी है। सरोजिनी देवी आई हॉस्पिटल के अधीक्षक राजा लिंगम ने बताया कि यहां ब्लैक फंगस के 11 मरीज भर्ती हैं, जिनमें से तीन लोगों की आंख की रोशनी जा चुकी।
इस संबंध में राज्य के मेडिकल शिक्षा निर्देशक रमेश रेड्डी ने बताया कि ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है और न ही इससे डरने की जरूरत नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि हर कोरोना संक्रमित मरीज को यह बीमारी होती है। बहुत कम लोगों को ऐसी बीमारी होती है। रेड्डी ने कहा कि इससे बचने के लिए सावधानी बरतनी होगी। मरीजों को ऑक्सीजन देते समय भी सफाई की जरूरत है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान जिन मरीजों का इम्युनिटी पावर बहुत कम हो और हाई डाइबटीज, कैंसर, हार्ट ट्रांसप्लांट और लंबे समय कोई हॉस्पिटल में रहे, स्टीरियड्स का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले मरीजों को ब्लैक फंगल होने का खतरा होता है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य निर्देशक श्रीनिवास राव ने बताया राज्यभर में पिछले एक सप्ताह में ब्लैक फंगस के केस निजी अस्पताल से सरकारी अस्पताल को स्थानांतरित किये गये हैं। हैदराबाद के निजी अस्पतालों (अपोलोव यशोदा) में अब तक 70 मरीज फंगस के भर्ती हुए जिसमें अब तक छह की मौ हो चुकी। म्यूकोर माइकोशिश का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि इसके मरीज काफी देर से अस्पताल पहुंच रहे हैं। कभी-कभी मरीज के पास बीमारी को दूर करने सिर्फ 48 घंटे बचे रहते, यह काफी कम समय होता है।