नई दिल्ली, 12 नवंबर (न्यूज़ हेल्पलाइन) देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुरुवार को राज्यपालों से अपने राज्यों में मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाने को कहा। वह आज राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों, उपराज्यपालों और प्रशासकों के 51वें सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
राष्ट्रपति भवन के एक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि राज्यपालों ने राष्ट्रीय लक्ष्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने और जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिसके लिए उन्हें संबंधित राज्यों में अधिक से अधिक समय बिताना चाहिए। उन्होंने 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन सहित जलवायु कार्रवाई के लिए भारत के लक्ष्यों को राष्ट्रीय लक्ष्यों के रूप में संदर्भित किया, जिन्हें राज्यपाल लोगों को पूरा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
सम्मेलन में राष्ट्रपति ने विशेष रूप से 'हर घर, नल से जल' को एक अविश्वसनीय रूप से सफल कार्यक्रम के रूप में संदर्भित किया जिसने लोगों के जीवन को बदल दिया और राज्यपालों से शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी संगठनों और गैर सरकारी संगठनों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने में मदद करने का आग्रह किया। अनुसूचित जनजातियों के बहुल क्षेत्रों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इन क्षेत्रों के विकास में राज्यपालों की विशेष संवैधानिक भूमिका है। उन्होंने कहा कि इन आदिवासी लोगों की प्रगति में योगदान देकर वे देश के समावेशी विकास में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
COVID-19 महामारी के कारण दो साल बाद व्यक्तिगत रूप से आयोजित होने वाले एक दिवसीय सम्मेलन में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भाग लिया और राज्यों द्वारा उनकी सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रस्तुतियाँ शामिल की गईं।
राष्ट्रपति भवन द्वारा ज़ारी बयान में कहा गया की, “पांच राज्यों – गुजरात, असम, उत्तर प्रदेश, झारखंड और तेलंगाना – और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख ने अपने सर्वोत्तम शासन प्रथाओं पर प्रस्तुतियाँ दीं। जैविक खेती पर गुजरात के जोर और उत्तर प्रदेश में शिक्षा को बढ़ावा देने और तपेदिक के उन्मूलन के लिए विशेष प्रयासों का उल्लेख इन रिपोर्टों में पाया गया है।”